Ranchi: झारखंड की अस्मिता, सम्मान और स्वाभिमान को लेकर चल रहे जन आंदोलन के तहत सोमवार को एक प्रतिनिधिमंडल ने झारखंड के महामहिम राज्यपाल महोदय से मुलाकात कर 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति लागू करवाने की मांग को लेकर एक संज्ञान पत्र सौंपा।
यह आंदोलन 15 मई 2025 को दुमका, जो झारखंड की उप-राजधानी है, से शुरू हुआ था। “खतियानी पदयात्रा” के नाम से जानी जाने वाली यह यात्रा लगातार 21 दिनों तक चली और 5 जून 2025 को रांची पहुंचकर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन में तब्दील हो गई।
धरना प्रदर्शन के दौरान आंदोलनकारियों की प्रमुख मांग थी कि झारखंड में स्थानीयता की पहचान के लिए 1932 के खतियान को आधार बनाया जाए। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि यह केवल एक दस्तावेज नहीं बल्कि झारखंड की सांस्कृतिक, सामाजिक और ऐतिहासिक पहचान का प्रमाण है।
5 जून को आयोजित धरना के समय राज्यपाल महोदय अनुपलब्ध थे, लेकिन उन्होंने 9 जून को प्रतिनिधिमंडल को समय देने का आश्वासन दिया था। आज, अपने वादे के अनुरूप राज्यपाल महोदय ने प्रतिनिधियों से मुलाकात की और उनकी बातों को ध्यानपूर्वक सुना।
प्रतिनिधिमंडल द्वारा सौंपे गए संज्ञान पत्र में स्पष्ट किया गया कि खतियान आधारित नीति न केवल स्थानीय लोगों के अधिकारों की रक्षा करेगी, बल्कि झारखंड की पहचान को भी मजबूती प्रदान करेगी।
राज्यपाल महोदय ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि वह इस विषय पर गंभीरता से विचार करेंगे और जल्द से जल्द इस दिशा में सकारात्मक पहल की जाएगी।
जन आंदोलनों से जुड़े नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मुलाकात को “सकारात्मक संकेत” बताया है और उम्मीद जताई है कि झारखंड की जनता की वर्षों पुरानी मांग अब हकीकत बन सकती है।
मुख्य बिंदु:
15 मई को दुमका से शुरू हुई पदयात्रा
21 दिनों के बाद 5 जून को धरना प्रदर्शन
1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति की मांग
9 जून को राज्यपाल को सौंपा गया संज्ञान पत्र
राज्यपाल का आश्वासन: जल्द होगी पहल
यह आंदोलन अब केवल एक मांग नहीं, बल्कि झारखंड की पहचान को लेकर जनसंकल्प का रूप ले चुका है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस पर क्या ठोस कदम उठाती है।