Bihar News: बिहार के हरियठ गांव के दो प्रवासी मज़दूरों की कुवैत में गैस कैमिकल टैंक विस्फोट में दर्दनाक मौत हो गई। बीते सोमवार को यह हादसा उस समय हुआ जब दोनों मज़दूर कंपनी में काम कर रहे थे। विस्फोट इतना भीषण था कि दोनों की मौक़े पर ही मौत हो गई। घटना की सूचना जब गांव में पहुंची तो पूरे इलाक़े में शोक की लहर दौड़ गई।
मृतकों की पहचान मो.अलाउद्दीन के पुत्र 44 वर्षीय मो. इमामुदीन और मो. अब्दुल बाक़ी के 37 वर्षीय पुत्र मो.तौकीर के रूप में हुई थी। बताया जाता है कि इमामुदिन क़रीब 19 वर्षों से कुवैत में मज़दूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे थे। वही तौकीर पहली बार सात माह पहले कर्ज़ लेकर बेहतर आमदनी की उम्मीद में विदेश गए थे। लेकिन किसी को यह अंदाज़ा नहीं था कि वह इस बार वतन से नहीं बल्कि इस दुनिया से हमेशा के लिए विदा ले लेंगे।
गुरुवार को चार दिन बाद दोनों का पार्थिव शरीर जब गांव पहुंचे तो कोहराम मच गया। एक साथ दो जनाज़े उठने पर पूरे गांव में मातम पसर गया। इमामुदीन की पत्नी नगमा प्रवीण अपने पति की मौत की ख़बर से बार-बार बेहोश हो रही थीं। बिलखते हुए कह रही थी की वो एक सप्ताह पहले ही उनकी अपने पति से बात हुई थी और उन्होंने बताया था कि चार पाँच महीने बाद वह बड़ी बेटी की शादी के लिए घर आएंगे। अब वह कैसे अपने बेटी की शादी करेंगी?
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दूसरी ओर मृतक तौकीर की पत्नी शगुफ्ता प्रवीण का भी रो रोकर बुरा हाल था। वह कह रहे थे की उनके पति ने ग़रीबी दूर करने के लिए कर्ज़ लेकर पहली बार विदेश का रुख़ किया था लेकिन यह चाहत अधूरी रह गई। अल्लाह ताअला को उनके पति की व्यवस्था से क्या नाराज़गी थी, यह समझ नहीं आ रहा।
मृतक इमामुदीन अपने पीछे पांच बच्चों को छोड़ गए हैं- इम्तियाजुद्दीन(18), इश्तियाकुद्दीन(14), सैफुद्दीन(6) और पुत्री शगुफ्ता प्रवीण(19) एवं संजीदा प्रवीण(12) की चीत्कार देख लोग विह्वल हो रहे थे। वहीं दूसरे मृतक मो. तौकीर के पुत्र मो. मुन्तक़ी(8) व मोईउद्दीन(5) और एक मात्र पुत्री मरियम आरजू(3)
दोनों का जनाजा एक साथ उठने पर गांव में हर आंख नम हो गई। जनाज़े की नमाज़ में बड़ी संख्या में गांववाले और आस पास के लोग शामिल हुए। जन सैलाब उमड़ पड़ा और पूरे गाँव में मातमी सन्नाटा छा गया। इस ह्रदयविदारक हादसे ने गांव को झकझोर कर रख दिया है और पीड़ित परिवारों की मदद को लेकर समाज सेवा प्रशासन पर भी सवाल उठ रहे हैं।











