Darbhanga News: अशोक पेपर मिल थाना इलाके के मझौलिया गांव में इंसानियत की एक ऐसी दिल को छू लेने वाली मिसाल सामने आई जिसने पूरे इलाके को भावुक कर दिया। आज जहां इंसानी प्यार कम होता दिख रहा है, वहीं एक बेगुनाह जानवर की तकलीफ ने पूरे गांव को एक कर दिया। एक बिल्ली करीब तीन महीने से सरोज चौधरी के घर में कैद थी। मालिक के बाहर होने की वजह से घर बंद था। इस दौरान, बिल्ली की दर्द भरी चीखें सुनकर गांव वालों को उसकी हालत का एहसास हुआ।
गांव वालों ने हार नहीं मानी।
तीन महीने तक, गांव वाले हर दिन बिल्ली को खाना-पानी देने के लिए ग्रिल पर जाते रहे, इस उम्मीद में कि उसकी जान बच जाएगी। मंजुला मिश्रा और उनके बेटे रोशन मिश्रा ने आगे बढ़कर अपनी कोशिशें जारी रखीं।
आखिरकार बिल्ली को आज़ाद कर दिया गया।
आस-पास के लोगों और समाज की कोशिशों के बाद, मालिक से आखिरकार संपर्क हुआ। स्थिति समझाने के बाद, उनकी इजाज़त से घर का दरवाज़ा खोला गया और बिल्ली को सुरक्षित छोड़ दिया गया। बिल्ली को छोड़ने पर वह कमज़ोर लग रही थी, लेकिन ताज़ी हवा और गांव वालों के प्यार ने उसे नई ज़िंदगी की उम्मीद दी।
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यह घटना साबित करती है कि इंसानियत अभी मरी नहीं है। एक जानवर की तकलीफ ने पूरे गांव को दया और प्यार से भर दिया। गांव वाले कहते हैं, “अगर हम एक जानवर के लिए इतने इमोशनल हो सकते हैं, तो इंसानियत अभी भी ज़िंदा है।” मझौलिया में यह कोशिश सोशल सेंसिटिविटी की एक मिसाल बन गई है।












