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जानिए कब आया Lohardaga जिला अस्तित्व में ?

On: February 8, 2025 8:38 PM
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Lohardaga जिला: झारखंड का एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जिला

Lohardaga जिला , झारखंड का एक महत्वपूर्ण जिला है, जो अपने ऐतिहासिक, भौगोलिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है। यह जिला 1983 में रांची जिले से अलग होकर अस्तित्व में आया था।

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इतिहास

Lohardaga  जिले का इतिहास बहुत पुराना है, जो जैन ग्रंथों में भगवान महावीर के लोरे-ए-यादगा यात्रा का उल्लेख मिलता है। इसके अलावा, प्रसिद्ध मुग़ल सम्राट अकबर के दरबारी लेखक अबुल फजल की पुस्तक ‘आइन-ए-अकबरी’ में भी ‘किस्मते लोहरदगा’ स्थान का जिक्र है।

Lohardaga शब्द का अर्थ भी दिलचस्प है। यह दो शब्दों ‘लोहार’ और ‘डागा’ से मिलकर बना है। ‘लोहार’ का मतलब होता है ‘लोहा विक्रेता’, और ‘डागा’ का मतलब ‘केंद्र’ होता है। इसलिए, लोहरदगा का शाब्दिक अर्थ ‘लौह खनन का केंद्र’ होता है।

Lohardaga जिला झारखंड राज्य के दक्षिण-पश्चिमी भाग में स्थित है, और इसकी भौगोलिक स्थिति 23°30′ और 23°40′ उत्तरी अक्षांशों और 84°40′ और 84°50′ पूर्वी देशांतरों के बीच है। यह जिला छोटानागपुर पठार के आदिवासी क्षेत्र में फैला हुआ है, जो 1491 वर्ग किमी के क्षेत्र में स्थित है।

लोहरदगा जिले में कई दर्शनीय स्थल हैं, जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख स्थल हैं:

  1. अखिलेश्वर धाम
  2. प्राचीन शिव मंदिर, खाकपरताइन
  3. लावापानी झरना
  4.  स्थलों के अलावा, लोहरदगा जिले में कई अन्य दर्शनीय स्थल भी हैं, जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

लोहरदगा जिले की शिक्षा प्रणाली भी बहुत विकसित है। यहाँ कई सरकारी और निजी स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय हैं, जो उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करते हैं।

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