Shaheed Diwas 2025 : शहीदी दिवस पर बिहार के सीएम नीतीश कुमार और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को श्रद्धांजलि दी. शहीदी दिवस के मौके पर रविवार सुबह-सुबह बिहार के सीएम और झारखंड के सीएम ने अमर शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को श्रद्धांजलि दी.
आज ही के दिन 23 मार्च 1931 को शहीद दिवस के मौके पर 94 साल पहले स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी दी गई थी। इन तीनों वीर सपूतों ने देश के लिए हंसते-हंसते अपनी जान कुर्बान कर दी थी.उन वीरों ने भारत माँ के लिए हंसते-हंसते अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। दोनों नेताओं ने कहा है कि भारत की धरती ने अनगिनत ऐसे वीर पुरुष पैदा किए हैं, जिन्होंने निस्वार्थ भाव से देश के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया.
बिहार के सीएम ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि
रविवार 23 मार्च को देशभर में उन 3 अमर शहीद बलिदानी युवाओं को याद किया जा रहा है। आज भारत को आजादी मिले 75 साल से ज्यादा हो गए हैं. इसी क्रम में यह भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या हम उन वीरों के बलिदान को पूरी तरह समझ पाए हैं? शहीदों का सपना था- समतामूलक, आत्मनिर्भर और सशक्त भारत। उनके आदर्शों को अपनाए बिना यह संभव नहीं है। सच्ची देशभक्ति सिर्फ भाषण देने में नहीं, बल्कि काम में होनी चाहिए। यह शहीद दिवस न केवल उन अमर शहीदों को याद करने का दिन है बल्कि आत्ममंथन का भी दिन है।यह संकल्प लेने का दिन है कि हम उनके बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देंगे। इसी क्रम में झारखंड के सीएम और बिहार के सीएम ने रविवार सुबह अपने सोशल मीडिया हैंडल पर शहीदों को याद किया.
झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने कहा
देश की आजादी के महानायक शहीद-ए-आज़म सरदार भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव जी की शहादत को शत-शत नमन।#ShaheediDiwas
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) March 23, 2025
हुसैनीवाला में शहीदों के स्मारक पर लोग जुटेंगे
इसी क्रम में भारत के इन 3 अमर शहीदों की याद में देश के अलग-अलग हिस्सों में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, लेकिन पंजाब के जिस स्थान पर इन 3 शहीदों को फांसी दी गई थी, वहां रविवार को शहीदों की याद में शहीद मेले का आयोजन होने जा रहा है.इसी क्रम में आज जब पंजाब के फिरोजपुर छावनी से शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए हुसैनीवाला के लिए विशेष ट्रेन रवाना होगी तो 10 किलोमीटर के इस सफर में लोगों की भावनाओं का ज्वार आसमान पर होगा.क्यों नहीं…यह वही पवित्र स्थान है, जहां शहीद-ए-आजम भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव हमेशा के लिए भारत माता की गोद में समा गए। आपको बता दें कि 23 मार्च 1931 को लाहौर की सेंट्रल जेल में फांसी दिए जाने के बाद तीनों शहीदों का यहीं अंतिम संस्कार किया गया था.
भारतीय सीमा में हुसैनीवाला केसे आया ?
इन अमर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए हर साल 23 मार्च को हुसैनीवाला के शहीद स्मारक पर मेले का आयोजन किया जाता है।इस मकबरे की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है. बंटवारे के दौरान यह हिस्सा पाकिस्तान में चला गया. इसे हासिल करने के लिए भारत ने फाजिल्का के 12 गांव पाकिस्तान को दे दिए.उसके स्थान पर हुसैनीवाला भारतीय सीमा में आ सका। यहां रोजाना रिट्रीट सेरेमनी भी होती है। सैकड़ों लोग पहुंचते हैं और जवानों का हौसला बढ़ाते हैं.