Samastipur: समस्तीपुर जिले के कल्याणपुर प्रखंड स्थित चकमेहसी पंचायत में पंचायत कर्मियों की मनमानी और भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। इस संबंध में पूर्व मुखिया खुशबू आफरीन ने उच्च अधिकारियों को आवेदन देकर गंभीर आरोप लगाए हैं।
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क्या हैं आरोप?
पूर्व मुखिया खुशबू आफरीन का आरोप है कि पंचायत कर्मी जनता से रिश्वत लेते हैं, पंचायत भवन में मौजूद नहीं रहते और अपने निजी स्थानों पर बैठकर सरकारी कार्य करते हैं। इसके अलावा, राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर भेदभावपूर्ण रवैया अपनाने का भी आरोप लगाया गया है।
उन्होंने महामहिम राज्यपाल, मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष, बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग, दरभंगा प्रमंडल के आयुक्त, मुख्य सचिव और समस्तीपुर जिला पदाधिकारी को संबोधित आवेदन में इन समस्याओं को उठाया।
अल्पसंख्यक आयोग का आदेश
मामले की गंभीरता को देखते हुए बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग ने बिहार परिवाद संख्या 2/12/2025 के तहत जिला पंचायत राज पदाधिकारी, समस्तीपुर को जांच करने और रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि आवेदन में उल्लिखित सभी बिंदुओं की विस्तृत जांच की जाए, जिसमें कॉल डिटेल्स भी शामिल हो।
इसके अलावा, जिला पदाधिकारी समस्तीपुर और विशेष कार्य पदाधिकारी, जिला गोपनीय शाखा ने भी जिला पंचायत राज पदाधिकारी को निष्पक्ष जांच के निर्देश दिए हैं। अधिकारियों का कहना है कि यदि जांच में पंचायत कर्मी दोषी पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
क्या है चकमेहसी पंचायत में स्थिति?
चकमेहसी पंचायत में भ्रष्टाचार का यह पहला मामला नहीं है। आरोप है कि इंदिरा आवास योजना, जॉब कार्ड निर्माण और अन्य रोजगार योजनाओं में बिना रिश्वत के कोई काम नहीं होता। गरीब और जरूरतमंद लोग सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए अधिकारी-कर्मचारियों के चक्कर काटने को मजबूर हैं।
अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में कितनी गंभीरता से जांच करता है और क्या भ्रष्ट अधिकारियों पर कोई ठोस कार्रवाई होती है। फिलहाल, जनता को निष्पक्ष जांच और न्याय की प्रतीक्षा है।
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