IIM Ranchi : IIM रांची में बदलते समय के साथ सूचना प्रणाली के बदलते माध्यम, डिजिटल सूचना प्रणाली की विश्वसनीयता और गलत सूचनाओं को रोकने की आधुनिक तकनीकों पर चर्चा की गई. संस्थान में एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।इस दौरान ‘अराजकता में सूचना: गलत सूचना के युग में कैसे नेविगेट करें’ विषय पर चर्चा की गई। उपभोक्तावादी युग में सूचना के उत्पादन एवं प्रसार विषय पर आयोजित सम्मेलन में मीडिया जगत के वरिष्ठ पत्रकारों ने अपने विचार प्रस्तुत किये।आयोजन को सफल बनाने में निदेशक प्रो दीपक कुमार श्रीवास्तव का सहयोग रहा.
कार्यक्रम समन्वयक प्रो. सत्यम ने अपने स्वागत भाषण में गलत सूचना और आज के समय में इसके प्रभाव पर अपने विचार प्रस्तुत किये। कहा कि आज हर वर्ग के उपभोक्ता को ध्यान में रखकर सूचनाएं तैयार की जा रही हैं। वेब 2.0 के युग में सोशल मीडिया सूचना प्रसारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।वहीं, फर्स्ट पोस्ट और फास्ट रिच के नाम पर गलत सूचनाएं भी तेजी से फैल रही हैं। इन गलत सूचनाओं को रोकने के लिए पारंपरिक और मातृभाषा संचार प्रणाली को मजबूत करने का विचार सामने रखा गया।
डीन एक्जीक्यूटिव एजुकेशन एवं कंसल्टेंसी प्रो. अमित सचान ने कहा कि आज सभी क्षेत्रों में गलत सूचनाएं फैल रही हैं। डिजिटल प्रसार और पहले नोटिस की होड़ में लोग अनुचित चर्चा में लगे रहते हैं,जिससे कई बार दिक्कतें पैदा हो जाती हैं. जबकि, डिजिटल युग में सूचना के प्रसार को अधिक सावधानी से प्राथमिकता देने की जरूरत है।
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सम्मेलन में बतौर अतिथि वक्ता इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास-कम्युनिकेशन के पूर्व डीन प्रो. गोविंद सिंह, द हिंदु बिजनेस लाइन के एसोसिएट एडिटर श्री शिशिर सिन्हा, एनडीटीवी इंडिया के वरीय संपादक हिमांशु शेखर मिश्रा और दूरदर्शन रांची केंद्र के न्यूज एडिटर गौरव कुमार पुष्कर (आइआइएस) शामिल हुए। हिमांशु शेखर मिश्रा ने कहा कि भारत सरकार जल्द ही डिजिटल इंडिया बिल लाने जा रही है। इसमें विविध क्षेत्र के लिए अलग-अलग कानून होंगे, जो गैर जिम्मेदाराना सूचना के प्रसार पर रोक लगाने की दिया में एक सार्थक कदम होगा। हिमांशु ने आज के दौर में विभिन्न सोशल मीडिया माध्यमों के यूजर्स और उनकी ओर से सूचनातंत्र में हो रही गलतियों पर चर्चा की। बताया कि बिल पारित होने से सरकार 11 तरह के कंटेंट – जिसमें देश की अखंडता, पॉर्न, विदेशी कंप्यूटर गेम समेत अन्य को पूरी तरह बंद कर देगी। ऐसे में उन्होंने विद्यार्थियों को नये तरीके से सोचने और सर्तकता के साथ डिजिटल सूचनातंत्र के इस्तेमाल पर जोड़ दिया।
‘डिजिटल युग में गलत सूचना के प्रसार’
प्रोफेसर गोविंद ने डिजिटल युग में गलत सूचना के प्रसार के लिए डिजिटल प्रचार सिद्धांत पर बात की। कहा कि दुष्प्रचार हमेशा एक-दूसरे को नीचा दिखाने और विपक्ष को फायदा पहुंचाने का काम करता है। आज के समय में चुनाव के दौरान सबसे ज्यादा दूर तक प्रचार होता है।वहीं गलत सूचनाओं का असर कारोबार और बाजार पर भी दिखने लगा है. आज के नए जमाने के पत्रकार अनजाने में ‘ट्रोल आर्मी’ का हिस्सा बन रहे हैं, जिसे विशेष रूप से गलत सूचना फैलाने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।
अध्यक्ष शिशिर सिन्हा ने झूठी खबर और प्रचार के बीच अंतर पर अपने विचार प्रस्तुत किये। उन्होंने विश्वसनीयता के लिए पारंपरिक सूचना प्रणाली यानी अखबार पर भरोसा करने पर अपने विचार रखे.साथ ही गौरव कुमार पुष्कर ने प्रचार-प्रसार में भाषाई बाध्यता एवं जानबूझकर दुष्प्रचार पर अपने विचार व्यक्त किये। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से गलत सूचनाओं की पहचान करने के तरीके साझा किए।