Sarhul 2025: झारखंड के आदिवासियों का प्रमुख प्रकृति पर्व सरहुल पूरे राज्य में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। यह तीन दिवसीय महापर्व सोमवार को उपवास और पारंपरिक अनुष्ठानों के साथ शुरू हुआ। सरहुल के पहले दिन राजधानी रांची में हातमा सरना समिति के पुजारी जगलाल पाहन ने पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करते हुए हातमा तालाब में जाकर मछली और केकड़ा पकड़ा।
आज निकलेगी शोभायात्रा
सरहुल महापर्व के दूसरे दिन यानी मंगलवार को भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी। राजधानी रांची में इस शोभायात्रा की शुरुआत हातमा से होगी, जिसके बाद शहर के अन्य क्षेत्रों से भी सरना समितियों द्वारा शोभायात्राएं निकाली जाएंगी। ये सभी शोभायात्राएं सिरमटोली स्थित केंद्रीय सरना स्थल पर पहुंचेंगी और परिक्रमा के बाद वापस अपने-अपने इलाकों की ओर लौटेंगी।
मछली और केकड़ा पकड़ने की परंपरा
सरहुल के पहले दिन जगलाल पाहन ने हातमा तालाब से मछली और केकड़ा पकड़ा। इसके तहत पकड़े गए केकड़े को रसोईघर में चूल्हे के ऊपर टांग दिया गया है। पारंपरिक मान्यता के अनुसार, कुछ महीनों बाद जब खेतों में हल चलाया जाएगा, तो इस केकड़े का चूर्ण बनाकर खेतों में छींटा जाएगा, जिससे अच्छी फसल और बारिश की कामना की जाती है।
जलरखाई पूजा और बारिश की भविष्यवाणी
सोमवार को जलरखाई पूजा संपन्न हुई, जिसमें जगलाल पाहन ने नए घड़े में तालाब से लाया गया पवित्र जल भरा। इस घड़े को देखकर मंगलवार को बारिश की भविष्यवाणी की जाएगी।
विद्यार्थियों की बड़ी भागीदारी
इस धार्मिक अनुष्ठान में बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने भी भाग लिया। विद्यार्थियों ने अपने-अपने घड़ों में जल भरकर पूजा करवाई। सुबह में सिरमटोली के सरना स्थल पर भी पूजा-अर्चना की गई, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हुईं। पूजा के दौरान सभी ने जल अर्पित कर प्रकृति देवता से आशीर्वाद मांगा।
महापर्व का समापन
सरहुल महापर्व का समापन बुधवार को फूलखोसी अनुष्ठान के साथ किया जाएगा। इस अवसर पर लोग प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करेंगे और खुशहाली की कामना करेंगे।