Madhubani: मधुबनी जिले के खजौली प्रखंड के दतुआर गांव स्थित महामाया स्थान आज क्षेत्र ही नहीं, बल्कि देश-विदेश के श्रद्धालुओं के लिए भी गहरी आस्था का केंद्र बन गया है। यह पवित्र स्थल अपनी चमत्कारी मान्यताओं और वर्षों पुरानी लोककथाओं के चलते श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है।
स्थानीय लोगों के अनुसार, इस स्थान पर सच्चे मन से की गई पूजा अर्चना और मन्नतें निश्चित रूप से पूरी होती हैं। यही कारण है कि यहां साल भर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। विशेष रूप से सोमवार और शुक्रवार को मधुबनी, दरभंगा ही नहीं बल्कि नेपाल के कोने-कोने से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं।
इन खास दिनों में भक्तगण अपनी मनोकामना पूर्ण होने की कामना से मोर, छाग (बकरा) बलि, मुंडन और अन्य धार्मिक चढ़ावे के साथ मां महामाया की आराधना करते हैं। मान्यता है कि यदि कोई यहां मां महामाया और मां बिषहारा को साक्षी मानकर झूठी कसम खाता है, तो उसके जीवन में अनिष्ट होने लगता है। यह लोककथा लोगों की आस्था को और गहरा करती है।
हालांकि, मां महामाया की इस शक्ति स्थल की स्थापना कब और कैसे हुई, इस विषय में कोई ठोस ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है। यहां एक विशाल वृक्ष के नीचे मां बिषहारा की सात सहेलियों की मिट्टी से बनी पिंडियों की स्थापना की गई है, जो इस स्थान की दिव्यता को दर्शाती है।
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महामाया स्थान के अध्यक्ष एवं समाजसेवी दिलीप कुमार सिंह बताते हैं कि यह स्थल सदियों से लोगों की श्रद्धा का केंद्र रहा है। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों के सहयोग से श्रावण मास में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें दूर-दराज़ से श्रद्धालु पहुंचते हैं और गम्या पूजा-अर्चना करते हैं। पत्थर से बनी मां महामाया की मूर्ति की उत्पत्ति के संबंध में भी कोई स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसकी महत्ता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।
इस प्रकार, महामाया स्थान आज ना केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी मधुबनी जिले का एक महत्वपूर्ण और पवित्र स्थल बन गया है, जहां हर आस्थावान को आकर एक अद्भुत शांति और शक्ति का अनुभव होता है।
सुमित कुमार राउत की रिपोर्ट