Darbhanga News: मिथिला की सांस्कृतिक राजधानी दरभंगा एक बार फिर सामाजिक और राजनीतिक चेतना का केंद्र बन गई, जब मिथिलावादी पार्टी के तत्वावधान में “मिथिला अधिकार युवा सम्मेलन” का आयोजन किया गया। लहेरियासराय स्थित प्रेक्षा गृह में हुए इस भव्य सम्मेलन में हजारों की संख्या में मिथिला के युवाओं ने भाग लिया और दरभंगा की उपेक्षा के खिलाफ हुंकार भरी।
सम्मेलन की अगुवाई मिथिलावादी पार्टी के विधानसभा प्रभारी अभिषेक कुमार झा ने की, जिन्होंने मंच से स्पष्ट शब्दों में कहा – “मौन अब नहीं चलेगा, मिथिला के हक़ की निर्णायक लड़ाई की शुरुआत हो चुकी है।”
दरभंगा की उपेक्षा अब नहीं सहेंगे – वक्ताओं की तीखी आलोचना
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रजनीश प्रियदर्शी, आर. के. पटवा, CA संदीप झा, अजय झा, और डॉ. विनय मिश्रा सहित कई नेताओं ने केंद्र व राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि दरभंगा और मिथिला को योजनाबद्ध तरीके से विकास से वंचित किया जा रहा है। वक्ताओं ने कहा कि जब देश तकनीकी और आर्थिक क्षेत्र में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है, तब मिथिला आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्षरत है।
दरभंगा के मुख्य मुद्दे – युवाओं की आवाज़
सम्मेलन में जो प्रमुख मुद्दे उठे, वे इस प्रकार हैं:
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दरभंगा एयरपोर्ट का अधूरा विकास – अंतरराष्ट्रीय स्तर का टर्मिनल और नई उड़ानों की आवश्यकता पर बल।
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रेलवे ज़ोन की मांग – मिथिला के लिए अलग रेलवे ज़ोन को लेकर वर्षों से हो रही उपेक्षा।
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एम्स और केंद्रीय विश्वविद्यालय की अनुपस्थिति – शैक्षणिक पिछड़ेपन का प्रतीक।
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DMCH की दुर्दशा – स्वास्थ्य व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति पर चिंता।
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बाढ़ और जलजमाव की समस्या – हर साल की आपदा पर सरकार की निष्क्रियता।
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सांस्कृतिक विरासत की अनदेखी – दरभंगा राज परिसर, नवलखा महल जैसे धरोहरों की दुर्दशा।
युवा नेतृत्व और भविष्य की रणनीति
राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष सागर नवदिया ने युवाओं की ओर से शिक्षा और रोजगार को लेकर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि मिथिला के छात्र आज भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और करियर की तलाश में महानगरों की ओर पलायन को मजबूर हैं।
सम्मेलन में यह भी घोषित किया गया कि:
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दरभंगा से आंदोलन की शुरुआत की जाएगी – रेल रोको, भूख हड़ताल, और मानव श्रृंखला जैसे लोकतांत्रिक तरीकों से।
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मिथिला विकास बोर्ड की स्थापना होगी – जहाँ बुद्धिजीवी, छात्र, किसान और महिलाएं प्रतिनिधित्व करेंगी।
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मिथिला सांस्कृतिक परिषद का गठन – सांस्कृतिक संरक्षण को लेकर ठोस कदम उठाने की दिशा में।
विशेष राज्य का दर्जा: अब नहीं रुकेगी मांग
अभिषेक कुमार झा ने जोर देकर कहा कि मिथिला को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए। उन्होंने कहा, “अगर झारखंड, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ को अलग राज्य का दर्जा मिल सकता है, तो मिथिला क्यों नहीं? यह क्षेत्र अपनी भाषा, संस्कृति और इतिहास के बल पर एक स्वतंत्र पहचान का अधिकारी है।”
सम्मेलन में मौजूद प्रमुख युवा नेता:
अर्जुन कुमार, शिव मोहन, सुधांशु, कृष्मोहन, नीरज, संतोष चौधरी, प्रिय रंजन पांडे समेत कई युवा नेताओं ने अपनी भागीदारी से सम्मेलन को ऐतिहासिक बना दिया।
अंतिम उद्घोष: “हम मिथिला हैं – हम हक़ लेकर रहेंगे”
सम्मेलन का समापन इस संकल्प के साथ हुआ कि मिथिला और विशेषकर दरभंगा के विकास के लिए संघर्ष जारी रहेगा और यदि सरकारें अब भी नहीं जागीं, तो जनांदोलन की चिंगारी एक लपट बनकर उभरेगी।
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