Ranchi News: अवैध जमीन कब्जे का विवाद इन दिनों झारखंड प्रदेश का सबसे लंबित मामला है. बीआईटी बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा में अवैध भूमि अतिक्रमण को मुक्त कराने के लिए हेलीपैड मैदान मेसरा में एक आंदोलन का आयोजन किया गया। यह आंदोलन ‘रैयत विस्थापित संघ’ के बैनर तले हुआ था. आंदोलन में विभिन्न राजनीतिक एवं सामाजिक संगठनों के नेताओं ने भाग लिया.
संबोधन में ‘झारखंड डेमोक्रेटिक रिवोल्यूशनरी फ्रंट’ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष देवेन्द्रनाथ महतो ने कहा कि आज हम अवैध कब्जे वाली जमीन को मुक्त कराने के लिए एकजुट हुए हैं. अगर बीआइटी की जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त कराना है तो तुरंत जुताई कर खेती का काम शुरू करना होगा.
सभी नेताओं और उपस्थित जनता ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ सहमति व्यक्त की, तुरंत पांच ट्रैक्टर बुलाये गये, देवेन्द्र नाथ महतो ने स्वयं ट्रैक्टर चलाकर जमीन की जुताई की, जिसका उद्घाटन कांके विधायक श्री सुरेश बैठा ने हरी झंडी दिखाकर किया. विधिवत सांस्कृतिक गीत-संगीत के साथ धान और मडुवा अनाज बोकर जमीन बचाने का अभियान चलाया गया। आज के आंदोलन में पूर्वी मेसरा, पश्चिमी मेसरा, कैडल, नेउरी और चुटू पंचायत के हजारों लोग जुटे. स्थिति को नियंत्रित करने के लिए स्थानीय थाना प्रभारी संजीव कुमार पहुंचे.
आपको बता दें कि मेसरा, रुदिया, होम्बाई, पंचोली और नया टोली मौजा के मूल रैयतों की कुल 281 एकड़ जमीन की घेराबंदी करने के लिए प्रशासनिक नोटिस जारी किया गया था. जिसका आज जमकर विरोध किया गया. मीडिया कॉन्फ्रेंस में देवेन्द्र नाथ महतो ने कहा कि इतिहास में पहली बार भूमि विवाद आंदोलन के कारण अवैध रूप से कब्जा की गई जमीन को जुताई और खेती कार्य कर मुक्त कराया गया. हमारे पूर्वजों ने जमीन लूटना कभी स्वीकार नहीं किया।
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जमीन बचाने का संघर्ष का इतिहास पुराना है, जमीन बचाने को लेकर हमारे पूर्वज ढाल विद्रोह, चुआड़ विद्रोह , घोटवाल विद्रोह, भोक्ता विद्रोह, मुंडा विद्रोह, संथाल विद्रोह ऐसे अनेक विद्रोह का इतिहास रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि हम शिक्षा का समर्थन करते हैं लेकिन संस्थान द्वारा जबरन अवैध रूप से रैयतों और फॉरेस्ट जमीन अधिग्रहण स्वीकार नहीं किया जाएगा।