Darbhanga News: अलीनगर प्रखंड के इमामगंज गांव में शुक्रवार की सुबह मातम छा गया, जब प्रवासी मज़दूर रामबालक यादव (55 वर्ष) की लाश दरभंगा के दोनार गुमती के पास बरामद हुई। सूरत से घर लौट रहे रामबालक के इंतज़ार में परिजन ख़ुशियों की तैयारी कर रहे थे, लेकिन अचानक आई इस ख़बर ने पूरे परिवार और गांव को गमगीन कर दिया।
बताया जाता है कि रामबालक यादव कई वर्षों से सूरत में ठेला चला कर परिवार का भरण-पोषण करते थे। एक वर्ष पहले वह गांव से सूरत गए थे। बीते गुरुवार की शाम उन्होंने पत्नी को फ़ोन कर शुक्रवार सुबह दरभंगा पहुंचने की जानकारी दी थी। लेकिन घर वापसी की उनकी यात्रा अधूरी रह गई।
दरभंगा पुलिस ने मोबाइल से ही परिवार को मौत की सूचना दी। उस समय पत्नी पवन देवी पति के स्वागत में भोजन तैयार कर रही थीं। ख़बर मिलते ही पत्नी, पुत्री राजनंदिनी और चार बेटों के साथ पूरे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। दोपहर बाद जब शव गांव पहुंचा तो परिजनों के रोने- बिलखने से माहौल और भी भावुक हो गया।
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मृतक अपने पीछे चार बेटे अमरजीत(27), रंजीत(23), इन्द्रजीत(18), परमजीत(10) और पुत्री राजनंदिनी (18), को छोड़ गए हैं। परिवार की आर्थिक हालत पहले से ही कमजोर बताई जा रही है। गांव के लोगों ने आक्रोश जताते हुए कहा कि सरकारें रोज़गार और विकास की बातें तो करती हैं लेकिन हकीकत यह है कि आज भी ग्रामीण क्षेत्रों के लोग मजदूरी के लिए पलायन को मजबूर हैं। प्रमुख प्रतिनिधि राजीव यादव ने कहा कि “ यदि बिहार में पर्याप्त उद्योग होते, तो मज़दूरों को बाहर नहीं जाना पड़ता। अकसर ख़बर आती रहती है कि दुसरे प्रदेशों में काम करने गए लोग असमय अपनी जान गवा बैठते हैं। आख़िर कब तक मज़दूरों की घर वापसी मातम में बदलती रहेगी?” यह दर्दनाक घटना एक बार फिर बिहार में रोज़गार संकट और मजबूरन हो रहे पलायन पर गंभीर सवाल खड़ा करती है।