Darbhanga News: बिहार के दरभंगा जिले के एक लड़के अरविंद अचल ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि अगर कुछ ठान लिया जाए तो कड़ी मेहनत से उसे हासिल किया जा सकता है. स्विट्जरलैंड क्रिकेट बोर्ड ने घोषणा की कि दरभंगा के अरविंद अचल को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) विकास अंपायर पैनल में नामित किया गया है। बिहार के पहले अंपायर कौन हैं जिन्होंने यह मुकाम हासिल किया है. इसके साथ ही वह अंतरराष्ट्रीय मैचों और आईसीसी प्रतियोगिताओं में अंपायरिंग कर सकेंगे।
इस मौके पर खुशी जाहिर करते हुए दरभंगा जिले के मनीगाछी अंतर्गत मकरंदा गांव निवासी अरविंद अचल ने अपने फेसबुक पर लिखा कि जब सपने सच होते हैं. अब मैं आधिकारिक तौर पर आईसीसी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट अंपायर बन गया हूं। अब आने वाले दिनों में अंतरराष्ट्रीय मैच होंगे जो स्विट्जरलैंड और एस्टोनिया के बीच खेले जाएंगे. उसमें हम अंपायर की भूमिका में नजर आएंगे. यह उपलब्धि थी मेरे एक अत्यंत प्रिय मित्र अविनाश चंद्र से मिलना, जो मेरे गृह जिले से हैं। जिन्होंने संयोगवश इट्स ए स्मॉल वर्ल्ड श्रृंखला के दौरान आधिकारिक स्कोरर के रूप में कार्य किया
अरविंद अचल आईसीसी अंतरराष्ट्रीय अंपायर बनने वाले बिहार के पहले लाल बन गए हैं। उनका करियर शुरू से ही आसान नहीं था. स्विट्ज़रलैंड देश में क्रिकेट को लोग उतना तब्जो नहीं देते है यह एक ऐसा क्षेत्र था जिसमें बहुत कम लोग कदम रखना चाहते है अरविंद अचल की यात्रा बेहद प्रेरणादायक और दिलचस्प है, जिसमें उन्होंने अपनी मेहनत और समर्पण से क्रिकेट की दुनिया में अपनी एक खास पहचान बनाई है. अचल का क्रिकेट से जुड़ाव किसी खिलाड़ी या कोच के रूप में नहीं, बल्कि एक अंपायर के रूप में रहा है,
वहीं अरविंद अचल के पिता टुनटुन झा ने कहा कि यह हमारे लिए बेहद गौरव का क्षण है, हालांकि अरविंद को शुरू से ही क्रिकेट में रुचि थी और पच्चीस साल की तपस्या आखिरकार रंग लाई और वह अंतरराष्ट्रीय पैनल के अंपायर बन गये, इससे पूरा मिथिलांचल गांव गौरवान्वित है.
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जानकारी के मुताबिक, अरविंद ने हाल ही में एस्टोनिया की राजधानी तेलिन में स्विट्जरलैंड और एस्टोनिया के बीच खेले गए टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में अंपायरिंग की थी. वह बिहार में जन्मे पहले अंतरराष्ट्रीय अंपायर बन गये हैं. अरविंद स्विट्जरलैंड में कार्यरत हैं और क्रिकेट में गहरी रुचि के कारण उन्होंने आईसीसी से मान्यता प्राप्त अंपायरिंग योग्यता हासिल कर ली है। उनकी इस उपलब्धि पर मिथिला और बिहार को गर्व है.