Ranchi: झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के 13वें महाधिवेशन में ऐतिहासिक बदलाव की पटकथा लिखी गई। लगभग चार दशक बाद पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में बदलाव हुआ है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पार्टी का नया केंद्रीय अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि पार्टी के वरिष्ठ नेता और संस्थापक शिबू सोरेन को “संस्थापक संरक्षक” की नई जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह निर्णय पार्टी के संविधान में संशोधन के बाद लिया गया, जिस पर 15 अप्रैल को महाधिवेशन के दूसरे दिन अंतिम मुहर लगाई गई।
संविधान संशोधन के जरिए हुआ बड़ा फेरबदल
महाधिवेशन के पहले दिन पार्टी के महासचिव विनोद पांडेय ने संविधान संशोधन का प्रस्ताव पेश किया। इस संशोधन के तहत पार्टी में कार्यकारी अध्यक्ष का पद समाप्त कर दिया गया है, जिसे अब तक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन संभाल रहे थे। इसके स्थान पर “संस्थापक संरक्षक” का नया पद सृजित किया गया है, जो अब शिबू सोरेन को दिया गया है।
इतिहास की एक झलक
झामुमो की स्थापना 1972 में हुई थी, और पार्टी के पहले अध्यक्ष विनोद बिहारी महतो बने थे। उन्होंने 1973 से 1984 तक अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी निभाई। इसके बाद राजनीतिक परिस्थितियों के चलते 1984 में शिबू सोरेन ने निर्मल महतो को अध्यक्ष नियुक्त किया। निर्मल महतो की हत्या के बाद 1987 में शिबू सोरेन ने पार्टी की कमान खुद संभाली, और तब से लेकर अब तक वे इस पद पर बने रहे।
हेमंत सोरेन को पूरी कमान
संविधान संशोधन के बाद अब पार्टी की पूरी कमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हाथों में आ गई है। केंद्रीय अध्यक्ष बनने के साथ वे अब संगठन और सरकार दोनों की बागडोर संभालेंगे। पार्टी में इसे एक नई पीढ़ी के नेतृत्व की ओर कदम माना जा रहा है।
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भविष्य की दिशा तय करेगा यह फैसला
झामुमो के लिए यह बदलाव सिर्फ संगठनात्मक नहीं बल्कि भावनात्मक भी है। 38 साल तक अध्यक्ष रहे शिबू सोरेन की भूमिका अब मार्गदर्शक की होगी, जबकि हेमंत सोरेन की अगुवाई में पार्टी नए दौर की ओर अग्रसर होगी। यह बदलाव आने वाले वर्षों में झारखंड की राजनीति और झामुमो के भविष्य की दिशा तय करेगा।