Jale Vidhan Sabha 2025: बिहार की राजनीति में अपनी ऐतिहासिक पहचान रखने वाले जाले विधानसभा सीट एक बार फिर चर्चा में है। इस सीट पर कभी कांग्रेस, कभी जनता दल कभी राजद और अब पिछले 2 चुनावों से भाजपा गठबंधन का क़ब्ज़ा रहा है। आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर यहां की सियासी सरगर्मी तेज हो गई है, और जनता अब बदलाव की उम्मीद लगाए बैठी है ।
राजनीतिक इतिहास: लगातार बदलते रहे प्रतिनिधि
जाले विधानसभा का इतिहास बताता है कि यहां किसी भी पार्टी को लगातार दो बार से अधिक सफलता नहीं मिली है। इस सीट ने हमेशा सत्ता के ख़िलाफ़ वोट देने की परंपरा निभाई है।
पिछले कुछ चुनाव परिणामों पर नज़र डालें:
- 1977 – यहां से जनता पार्टी के एक कपिल देव ठाकुर विजय हुए
- 1980 – कांग्रेस के अब्दुल सलाम ने बाज़ी मारी
- इसके बाद 1985 में कांग्रेस के ही एक लोकेश नाथ झा को जीत मिली
- 1990 – विजय कुमार मिश्रा ने जीत दर्ज की
- वहीं 1995– सीपीआई के अब्दुल सलाम को दोबारा मौक़ा मिला
- 2000 – भाजपा से विजय कुमार मिश्रा फिर विधायक बने
- 2005– आरजेडी से राम निवास प्रसाद विधायक बने
- इसके बाद 2014 के उपचुनाव में जनता दल यूनाईटेड से रिषी मिश्रा ने जीत हासिल की ।
- 2015 और 2020 के चुनाव में भाजपा के जीवेश कुमार मिश्रा विजयी रहे ।
- इस तरह, यह सीट लगातार बदलते राजनीतिक प्रतिनिधित्व का गवाह रही है।
जातीय समीकरण: निर्णायक भूमिका में सवर्ण और मुस्लिम मतदाता, जाले क्षेत्र में जातीय संतुलन भी चुनावों की दिशा तय करता है।
- हिंदू बहुल इलाक़ा, जिसमें सवर्णों की संख्या प्रमुख है ।
- मुस्लिम मतदाता लगभग 30% हैं ।
- यह समीकरण सियासी गणित को पेचीदा बना देता है। यहां कब की हवा का रुख़ बदल जाए कहना मुश्किल है ।
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क्या है जनता के मुद्दे: विकास नहीं, सिर्फ़ वादे
ग्रामीण इलाकों में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार और पलायन जैसे मुद्दे अभी भी बड़े सवाल बने हुए हैं।
ग्रामीणों की राय:
- अमरेश झा (अमोल) -“ ग्राम पंचायत की सड़कों की हालत बेहद ख़राब है। 10 साल में कोई ठोस क़दम नहीं हुआ।”
- संजय ठाकुर – “25 सड़क परियोजनाओं की स्वीकृति मिली है, काम जारी है।”
- अनिल चौधरी – “ विधायक ने भ्रष्टाचार पर अपना पांच मंज़िला मकान बनवा लिया लेकिन जनता बेहाल है ।”
- गौतम झा – “ स्वास्थ्य केंद्र सिर्फ़ उद्घाटन के लिए बना था, आज तक शुरू नहीं हुआ।”
- उमाशंकर निराला – “10 साल में कोई ऐसा विकास कार्य नहीं हुआ जिस पर गर्व किया जा सके।”
वर्तमान विधायक पर सवाल, विकल्प के रूप में ऋषि मिश्रा का नाम आगे
जीवेश कुमार मिश्रा जो वर्तमान में राज्य सरकार में मंत्री भी है। जनता की आलोचनाओं के घेरे में है। लोगों में बदलाव की लहर महसूस की जा रही है, और एक बड़ा वर्ग पूर्व विधायक ऋषि मिश्रा के समर्थन में दिख रहा है। हालांकि, अभी तक उनका उम्मीदवार घोषित होना बाक़ी है, लेकिन समर्थन को देखते हुए उनका नाम चर्चा में है ।
ज़मीनी हक़ीक़त: मुख्य सड़के ठीक, आंतरिक रास्तों की हालत ख़राब
जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर जाले पहुंचते ही मुख्य सड़कों की स्थिति ठीक-ठाक नज़र आती है। लेकिन ग्राम पंचायतों से जुड़ने वाले मार्गों की हालत खास्ता है। यही विकास की असमानता जनता की नाराज़गी का कारण बन रही है ।
जाले विधानसभा की राजनीति बहुरंगी रही है। जनता के मुद्दों की अनदेखी, क्षेत्रीय असमानता और विकास की धीमी रफ़्तार में बदलाव की मांग को जन्म दिया है। अब देखना यह है कि आगामी चुनाव में जनता किसे अपना विश्वास देती है— वर्तमान विधायक जीवेश मिश्रा को या किसी नए चेहरों को।