Biography of RJ Rakesh: अक्सर रेडियो जॉकीज़ अपनी निजी ज़िंदगी को पर्दे के पीछे रखकर सिर्फ अपनी आवाज़ और व्यक्तित्व से श्रोताओं को प्रभावित करते हैं। आरजे राकेश भी उन्हीं में से एक हैं — एक ऐसा नाम जो हर दिन हमारे कानों तक पहुंचता है, लेकिन उनके जीवन की कहानी अब भी रहस्य की चादर में लिपटी हुई है। आइए जानते हैं कौन है आरजे राकेश?
कौन है आरजे राकेश? RJ Rakesh biography in Hindi
शहरों का शहर, कोलकाता — जहां हर गली, हर मोड़ अपनी अनूठी कहानी कहता है। ये सिर्फ एक महानगर नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक जादू है जो कला, साहित्य और संगीत की आत्मा में सांस लेता है। इसी जीवंत धड़कन में रेडियो की भी एक खास गूंज है — एक ऐसा माध्यम जो लोगों को न सिर्फ जोड़ता है, बल्कि उन्हें सोचने, मुस्कुराने और कभी-कभी रोने पर भी मजबूर कर देता है।
कोलकाता के रेडियो संसार में कई आवाज़ें आईं और गईं, लेकिन कुछ नाम ऐसे हैं जो दिलों में बस गए। उन्हीं में से एक चमकता हुआ नाम है — आरजे राकेश। उनकी आवाज़ में वो जादू है जो हर सुबह को खास बना देती है, हर शाम को यादगार कर देती है। रेडियो प्रेमियों के लिए आरजे राकेश सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि एक एहसास हैं — कोलकाता की आवाज़, जो हर दिल तक पहुंचती है।

इस मशहूर आवाज़ के पीछे कौन है?
अक्सर रेडियो जॉकीज़ अपनी निजी ज़िंदगी को पर्दे के पीछे रखकर सिर्फ अपनी आवाज़ और व्यक्तित्व से श्रोताओं को प्रभावित करते हैं। आरजे राकेश भी उन्हीं में से एक हैं — एक ऐसा नाम जो हर दिन हमारे कानों तक पहुंचता है, लेकिन उनके जीवन की कहानी अब भी रहस्य की चादर में लिपटी हुई है। हालाँकि, कुछ सूत्रों से मिली जानकारी हमें उनके सफ़र की झलक देती है। बताया जाता है कि राकेश जी का पारिवारिक संबंध उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले से है, लेकिन उनका जन्म हुआ कोलकाता की ही मिट्टी में — उसी शहर में जिसकी आवाज़ बनने का उन्हें मुकाम मिला। यह भी माना जाता है कि उन्होंने अपनी पढ़ाई-लिखाई भी कोलकाता में ही पूरी की, और यही शहर बना उनके ख्वाबों की उड़ान का पहला आसमान। रेडियो की दुनिया में एक जाना-पहचाना चेहरा बनने से पहले, आरजे राकेश भी कभी उसी भीड़ का हिस्सा थे, जिनके बीच से अब उनकी आवाज़ सबसे अलग सुनाई देती है।
आरजे राकेश के करियर की शुरुआत कब और कैसे हुई?
कोलकाता के अखबारों में छपे लेखों के मुताबिक आरजे राकेश ने अपना सफर एक थिएटर अभिनेता और मंच उद्घोषक के रूप में 1986 में शुरू किया, जो कि स्कूल की अंतिम परीक्षाओं के तुरंत बाद था। मंच पर आरजे राकेश कभी नाटक में अदाकारी दिखाते हुए नज़र आयें तो कभी म्यूज़िकल शो का संचालन करते हुए नज़र आयें| कभी अंताक्षरी तो कभी क्विज़ शो… गेम शो… फैशन शो… फिल्म स्टार नाइट्स… आरजे राकेश का जलवा हर तरफ दिखने लगा था|

FM रेडियो के साथ करिअर की शुरुआत कब और कैसे?
रेडियो पर दो दशकों का शानदार सफर – आवाज़ जिसने लाखों दिलों को है छुआ
- 1994 में कोलकाता स्थित एक निजी प्रसारण कंपनी, ‘रेडियो नेटवर्क’, के साथ रेडियो जॉकी के रूप में अपने पेशेवर जीवन की शुरुआत की।
- दिसम्बर 1994… आरजे राकेश जुड़ गए ‘टाइम्स एफएम’ (द टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप) के साथ हुआ, जहाँ उन्होंने एक प्रोग्रामिंग ऑफिसर के रूप में शुरुआत की और जल्द ही अपनी प्रतिभा के दम पर सुपरवाइजिंग प्रोड्यूसर तक का सफर तय किया। कोलकाता सहित चार अन्य शहरों में उनके शो बेहद लोकप्रिय हुए। मंच संचालन (MC) के तौर पर भी उन्होंने कई बड़े आयोजनों में अपनी मौजूदगी दर्ज़ कराई। इस दौर में उन्होंने सेल्स और मार्केटिंग टीम के साथ भी सक्रिय रूप से काम किया, जिससे उन्हें कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन और क्लाइंट हैंडलिंग का गहरा अनुभव मिला। ये सिलसिला मार्च 2001 तक जारी रहा|
- अप्रैल 2001 – अप्रैल 2003… आरजे राकेश रहे ‘रेडियो मिर्ची’ (द टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप) के साथ| रेडियो मिर्ची के शुरुआती वर्षों में उन्होंने एक अहम भूमिका निभाई। वे न केवल शो प्रोड्यूसर और आरजे रहे, बल्कि भारत के पहले 100% लाइव डायल-इन शो ‘फोन आपके गीत हमारे’ को होस्ट करने का गौरव भी उन्हें प्राप्त हुआ। उन्होंने इंदौर और अहमदाबाद में रेडियो मिर्ची के लॉन्चिंग अभियान में कोर टीम सदस्य के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी आवाज़ और होस्टिंग स्टाइल ने श्रोताओं को तुरंत जोड़ लिया।
- अप्रैल 2003 – सितंबर 2006… इस दौरान आरजे राकेश रहें 93.5 रेड एफएम (द इंडिया टुडे ग्रुप) के साथ| यहाँ उन्होंने तीन साल के लिए शो आधारित अनुबंध पर काम किया और कई हिट प्रोग्राम प्रस्तुत किए।
i) सुबह 10 से दोपहर 1 बजे तक का शो ‘जीने का फंडा’ कोलकाता में सबसे ज्यादा सुना जाने वाला शो बना।
ii) ‘जवानी जानेमन’, एक रोमांचक साप्ताहिक शो, देश के तीन प्रमुख शहरों—कोलकाता, दिल्ली और मुंबई—से एक साथ प्रसारित हुआ।
iii) भावनाओं से भरे खतों पर आधारित शो ‘चिट्ठी आई है’ ने लाखों श्रोताओं के दिलों में जगह बनाई।
हर इवेंट में उनकी उपस्थिति श्रोताओं के लिए एक खास अनुभव बन जाती थी।
• अक्टूबर 2006 – सितंबर 2009… ये वो वक़्त था जब आरजे राकेश जुड़े रहें बिग 92.7 एफएम (अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप) के साथ| इस ‘एफ एम’ पर उन्होंने ‘चलते चलते’ जैसे इवनिंग ड्राइव शो को प्रोड्यूस और को-होस्ट किया, जो अपने टाइम स्लॉट का लीडर बन गया। इसके साथ ही ‘हाफ डे’ जैसा साप्ताहिक रिक्वेस्ट शो भी उन्होंने बेहद प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया। रांची में बिग एफएम की लॉन्चिंग में उनकी भूमिका उल्लेखनीय रही—टेक्निकल सपोर्ट, कंटेंट डेवलपमेंट, टीम ट्रेनिंग और आरजे इंटरव्यूज तक, हर स्तर पर उनका योगदान रहा। रेवेन्यू जनरेशन को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने सेल्स और मार्केटिंग टीम के साथ मिलकर कार्य किया।
रेडियो का इतिहास रचने वाली एक ऐतिहासिक रेडियो मैराथन
‘पावरहॉर्स रेडियो मैराथन’ | बिग 92.7 एफ़एम, कोलकाता सितंबर 2007 में, उन्होंने RJ प्रज्ञा के साथ मिलकर रेडियो इतिहास का वो अध्याय लिखा जिसे आज भी गर्व से याद किया जाता है। 111 घंटे 11 मिनट और 11 सेकंड तक लगातार ऑन-एयर रहने वाली यह जोड़ी बनी एफएम इतिहास की पहली ‘रेडियो जोड़ी’, जिन्होंने बिना रुके रेडियो शो को होस्ट किया। मैराथन की शुरुआत: 10 सितंबर 2007 (सोमवार), शाम 5 बजे। मैराथन का समापन: 15 सितंबर 2007 (शनिवार), सुबह 08:11:11 बजे। ये महा-प्रस्तुति ना केवल धैर्य और समर्पण की मिसाल थी, बल्कि एक रेडियो ब्रॉडकास्टर के रूप में उनकी स्टैमिना, एनर्जी और सुनने वालों से जुड़ाव की शक्ति को दर्शाती है। ये रिकॉर्ड आज भी रेडियो इंडस्ट्री में प्रेरणा का स्रोत है — एक ऐसा क्षण जहाँ आवाज़ बनी ताक़त और जोश बना इतिहास। नवंबर 2010 – अक्टूबर 2011… इस दौरान आरजे राकेश कान्ट्रैक्ट पर रहें Fever FM (हिंदुस्तान टाइम्स ग्रुप) के साथ|

‘रेडियो के सुपरस्टार — जब आवाज़ बनी तीन शहरों की धड़कन’
2010 में उन्होंने ‘फीवर एफ़एम’ के साथ एक साल का विशेष अनुबंध किया, जिसके अंतर्गत वे एक अनूठे म्यूज़िकल रेडियो शो ‘राकेश, प्रज्ञा और पॉपकॉर्न’ के को-होस्ट बने। ये शो कोलकाता, दिल्ली और मुंबई से एक साथ प्रसारित होता था और इसमें उन्हें सम्मानपूर्वक प्रस्तुत किया गया —
“रेडियो के सुपरस्टार” के रूप में।
श्रोताओं के दिलों में उतर जाने वाले उनके अंदाज़ ने शो को तीनों शहरों में जबरदस्त लोकप्रियता दिलाई। इवेंट्स की बात करें तो वे ‘फीवर एफ़एम’ के हर आयोजन का अभिन्न हिस्सा रहे, और उनकी मौजूदगी हर इवेंट को खास बना देती थी। इसके साथ ही उन्होंने सेल्स और मार्केटिंग विभाग में भी अपनी क्रिएटिव सोच और अनुभव से योगदान दिया — जिससे ब्रांड और बेहतर तरीके से श्रोताओं और क्लाइंट्स तक पहुँच सका। रेडियो के इस पड़ाव ने न केवल उनकी लोकप्रियता को नई ऊँचाइयाँ दीं, बल्कि तीन बड़े शहरों को एक आवाज़ के माध्यम से जोड़ा।
• नवंबर 2013 – दिसंबर 2015… इस दौरान आरजे राकेश कान्ट्रैक्ट पर रहें 91.9 फ़्रेंड्स एफ़एम (एबीपी ग्रुप) के साथ ‘जब हर सुबह की शुरुआत एक दोस्ताना आवाज़ से होती थी’ 2013 में उन्होंने 91.9 फ्रेंड्स एफएम के साथ दो वर्षों के लिए अनुबंध किया, जहाँ वे कोलकाता के बेहद लोकप्रिय ब्रेकफास्ट शो ‘गुड मॉर्निंग फ़्रेंड्स’ के को-होस्ट और प्रोड्यूसर रहे। सोमवार से शनिवार, सुबह 7 बजे से 10 बजे तक प्रसारित होने वाला ये शो न केवल श्रोताओं के दिल के करीब था, बल्कि उनकी सुबह की ऊर्जा और मुस्कान का स्रोत भी बन गया।
इवेंट्स की दुनिया में भी उनकी मौजूदगी हमेशा खास रही —
वे Friends FM के हर छोटे-बड़े कार्यक्रम में सक्रिय रूप से शामिल रहे और मंच की गरिमा को अपनी आवाज़ और उपस्थिति से हमेशा बनाए रखा। इसके साथ ही उन्होंने सेल्स और मार्केटिंग टीम के साथ मिलकर रचनात्मक योगदान दिया, जिससे शो और ब्रांड को अधिक से अधिक श्रोताओं और प्रायोजकों तक पहुँचाया जा सका। ये दौर उनकी रेडियो यात्रा का एक और सुनहरा अध्याय बना, जहाँ दोस्ताना अंदाज़ और प्रोफेशनल दृष्टिकोण ने उन्हें श्रोताओं और ब्रांड – दोनों का पसंदीदा बना दिया।
टीवी की दुनिया में भी वो ही चमक, वो ही जादू
TAAZA TV (जनवरी 2004 – फरवरी 2014) (फ़्रीलांसर – कभी कोई कॉन्ट्रैक्ट साइन नहीं किया गया) 2004 में उन्होंने हिंदी सैटेलाइट न्यूज़ चैनल TAAZA TV के साथ अपने टीवी करियर की शुरुआत की, एक एंकर के रूप में।
उनकी शानदार मेज़बानी और बेजोड़ अंदाज़ ने हर शो को लोकप्रियता की ऊँचाइयों तक पहुँचा दिया।
उनके द्वारा होस्ट किए गए कुछ प्रमुख और चर्चित शो:
1️⃣ Khel Khel Mein (2004)
2️⃣ Khiladi No.1 (2011)
3️⃣ Bolo Durga Maai Ki – दुर्गा पूजा स्पेशल (2011)
4️⃣ Dastak (2013)
5️⃣ News Masala (सितंबर 2011 – जनवरी 2014)
6️⃣ Business Ka Big Boss (सितंबर 2013 – फरवरी 2014)
इनमें से सबसे लोकप्रिय रहा:
Pujor Canvas Shongay Rakesh Aar Pragya —
दुर्गा पूजा के इस ख़ास शो ने दर्शकों के दिल में ख़ास जगह बनाई और उन्हें पश्चिम बंगाल के हर कोने में एक जाना-पहचाना चेहरा बना दिया।
प्रिंट मीडिया में रचनात्मक कलम की चमक
द टाइम्स ऑफ इंडिया – कलकत्ता टाइम्स (2000 – 2001)
1994 में TOI ग्रुप से रेडियो के ज़रिये जुड़ने के बाद, 2000 में आपने प्रिंट संस्करण के लिए भी योगदान देना शुरू किया। आरजे राकेश ने रोज़ाना प्रकाशित होने वाले मनोरंजन आधारित क्रॉसवर्ड ‘E-Krossword’ बनाए, जो लगातार लगभग 450 दिनों तक प्रकाशित हुए। आरजे राकेश का चर्चित रेडियो शो ‘Khat Aapke Geet Hamare’ को प्रिंट माध्यम में ढालते हुए ‘Khat Aapke Jawaab Hamare’ के नाम से नियमित रूप से एक वर्ष तक प्रकाशित किया गया। सन्मार्ग हिंदी दैनिक (जनवरी 2010 – वर्तमान) ‘सन्मार्ग’ अख़बार से आरजे राकेश स्वतंत्र स्तंभ लेखक (Freelancer) के रूप में जुड़े हुए हैं। आरजे राकेश ने लगभग तीन वर्षों तक ‘RAKESH PRAGYA DOT COM’ नामक मनोरंजन स्तंभ हर शुक्रवार को लिखा। इसके बाद एक वर्ष तक हर शुक्रवार को हिंदी में साप्ताहिक कॉलम ‘BOLLYWOOD CONNECTION’ प्रकाशित हुआ। वर्तमान में आरजे राकेश हर रविवार को भोजपुरी में स्तंभ ‘DIRECT BHOJPUR SE’ लिख रहे हैं, जो 2010 से लगातार प्रकाशित हो रहा है।

समाज्ञा हिंदी दैनिक (मई 2016 – दिसंबर 2019)
यहाँ आरजे राकेश ने फ्रीलांस फीचर्स एडिटर के रूप में काम किया। अख़बार के पूरे हफ़्ते के सभी पुलआउट्स की ज़िम्मेदारी अकेले आरजे राकेश ने निभाई। कंटेंट प्लानिंग से लेकर प्रोडक्शन तक, हर पहलू में आरजे राकेश की भूमिका अहम रही।
बर्तमान पत्रिका हिंदी (फरवरी 2023 – वर्तमान)
‘बर्तमान पत्रिका हिंदी’ में आरजे राकेश बतौर फ्रीलांस स्तंभकार सक्रिय हैं। आरजे राकेश यहाँ कभी कभी मनोरंजन, युवा मुद्दों और विशेष फीचर्स पर आधारित लेख लिखते हैं, जिनकी शैली पाठकों को विशेष रूप से आकर्षित करती है।
मंच से मायाजाल तक – एक सफर जो 1986 में शुरू हुआ . 1986 में स्कूल की अंतिम परीक्षा देने के तुरंत बाद आरजे राकेश ने रंगमंच अभिनेता एवं मंच संचालक (Stage Anchor) के रूप में अपना सफर शुरू किया।
यहीं से आरजे राकेश की कला यात्रा ने रफ्तार पकड़ी — अभिनय से लेकर मंच संचालन तक, हर क्षेत्र में इनकी उपस्थिति सराही गई। एफएम स्टेशनों के अनेकों ग्राउंड इवेंट्स के अलावा, आरजे राकेश ने अनेक स्वतंत्र इवेंट मैनेजमेंट ग्रुप्स के लिए भी स्टेज शोज़ की मेज़बानी की है, जैसे कि:
- अंताक्षरी प्रतियोगिताएँ
- फ़िल्मी क्विज़ शो
- जनरल क्विज़
- फ़िल्म स्टार नाइट्स
- ऑर्केस्ट्रा व लाइव म्यूज़िक शो
- गेम शोज़ और इंटरेक्टिव प्रोग्राम्स
- फ़ैशन शोज़
- डीलर मीट्स व प्रोडक्ट लॉन्चिंग कार्यक्रम… और ऐसे ही न जाने कितने शानदार इवेंट्स!
- क़लम के सफ़र की भी अपनी एक आवाज़ है
- अब तक मैंने दो पुस्तकें लिखी हैं, जो मैंने आरजे प्रज्ञा के साथ संयुक्त रूप से सह-लेखक के रूप में लिखी हैं:
Radio Jockeying – वर्ष 2006 में प्रकाशित
ये पुस्तक रेडियो की दुनिया में कदम रखने वाले युवाओं के लिए एक मार्गदर्शक बनी। इसमें एक आरजे के जीवन, तकनीकी पहलुओं और प्रस्तुति की बारीकियों को विस्तार से समझाया गया है।
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The Art of Communication – वर्ष 2010 में प्रकाशित
ये पुस्तक संवाद कला की सूक्ष्मता, व्यवहारिकता और असरदार अभिव्यक्ति को लेकर लिखी गई है। विद्यार्थियों, प्रोफेशनल्स और मंच संचालकों के लिए ये एक उपयोगी मार्गदर्शक है।
इन तमाम आयोजनों में मेरी आवाज़, मेरी मेज़बानी और मेरे संवाद कौशल ने दर्शकों से लेकर आयोजकों तक, सभी का दिल जीता।