Darbhanga News: नीतीश कुमार के सामने चिराग पासवान की हर चाल बौनी और बचकानी नजर आती है. बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट सुनने में तो अच्छा लगता है मगर यह नारा माइक मंच और मोर्चा तक ही सीमित रह जाता है। दरअसल, पार्टी खुद परिवार पहले, भाई पहले पर चल रही है, जहां जीजा को टिकट और जिम्मेदारी देकर वह खुद को युवाओं का नेता बता रहे हैं।
जिस तरह वे इन दिनों नीतीश कुमार और सरकार पर दहाड़ रहे हैं, 2020 में भी खूब दहाड़ रहे थे. नीतीश कुमार ‘मुक्त’ के नारे के साथ मैदान में उतरे थे लेकिन नतीजा क्या निकला? नीतीश कुमार फिर भी मुख्यमंत्री बने और चिराग विपक्ष से बाहर रहे. नीतीश कुमार वो खिलाड़ी हैं जो शतरंज में बादशाह हैं और अपनी चाल खुद तय करते हैं. चिराग की राजनीति फिलहाल कैमरे के फ्लैश और भाषणों की गूंज तक ही सीमित है.
जबकि राजनीति जनमत और जनादेश की समझ पर आधारित है, बिहार को सिर्फ नारों से नहीं बदला जा सकता, इसके लिए नीतीश कुमार जैसी दूरदर्शिता और धैर्य होना चाहिए. यह सभी बात मुस्लिम आजाद ने कही।
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