Darbhanga News: ‘मैं बेटी बिहार की’ गीत की सफलता से राष्ट्रीय पटल पर अमिट छाप छोड़ने वाली प्रसिद्ध कवयित्री एवं दरभंगा की बेटी डॉ. त्रिस्या श्री ने शुक्रवार को अपने आवास पर प्रेस वार्ता की। इस दौरान उन्होंने बताया कि, मैं पेशे से एमबीबीएस डॉक्टर हूं, अंग्रेजी पुस्तकों की लेखिका हूं और राष्ट्रीय मंचों पर कवयित्री के रूप में जानी जाती हूं। मैंने बिहार के कई गाने सुने और बिहार पर कई कविताएँ भी पढ़ीं। सब कुछ सुनने और पढ़ने के बाद, मुझे लगा कि बिहार की बेटी पर ऐसी कविता पहले कभी नहीं लिखी गई।
ताकि बिहार की बेटियों का नाम राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रोशन हो सके। इसी से प्रेरित होकर मैंने ‘मैं बेटी बिहार की’ गीत की रचना की है। इस गीत की रचना, धुन, संगीत और गायन मैंने स्वयं किया है। हाल ही में पटना में एक कार्यक्रम के दौरान बिहार के राज्यपाल डॉ आरिफ मोहम्मद खान, विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव, बिहार सरकार के मंत्री डॉ अशोक चौधरी, मदन सहनी समेत सैकड़ों गणमान्य लोगों की मौजूदगी में इस गाने को पहली बार प्रस्तुत किया गया।
मुख्य अतिथि के रूप में आए राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान समेत अन्य अतिथियों ने इसकी खूब प्रशंसा की और कहा कि बेटियां अगर ठान लें तो दुनिया बदल सकती हैं। मीडिया से बात करते हुए कवयित्री डॉ. त्रिश्या श्री ने कहा कि मेरी अंतिम इच्छा है कि मैं इस गीत को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने प्रस्तुत करूं। उन्होंने कहा कि इस गीत में मैंने बिहार की उन बेटियों का भी चरित्र चित्रण किया है, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बिहार का मान-सम्मान बढ़ाया है।
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लोग अपने पेशे के लिए अपने शौक छोड़ देते हैं। मैंने अपने शौक के लिए डॉक्टरी का पेशा छोड़ दिया। मैं हमेशा खुद को एक संयोगवश लेखक कहता हूँ। मेरी पहली किताब 18 साल की उम्र में प्रकाशित हुई थी। मैं प्रेम की कवयित्री तो हूँ, लेकिन सामाजिक मुद्दों पर भी लिखती हूँ। जब मैंने चिकित्सा का पेशा छोड़कर साहित्य जगत को चुना, तो मेरे माता-पिता ने हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उनके पिता डॉ. सुभाष सिंह भी मौजूद थे।