Madhubani: राज्य सरकार द्वारा अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) एवं सभी वर्गों की छात्राओं को उच्च शिक्षा में नामांकन शुल्क से मुक्त रखने के स्पष्ट आदेश के बावजूद सती भरत महाविद्यालय, पड़री में इन आदेशों की सरेआम अवहेलना की जा रही है। स्नातक द्वितीय सेमेस्टर (सत्र 2024-28) में नामांकन के दौरान छात्राओं एवं एससी-एसटी वर्ग के विद्यार्थियों से लगभग ₹1700 का शुल्क वसूला जा रहा है, जो कि पूरी तरह से गैरकानूनी है।
सरकार ने वर्ष 2014 में ही यह आदेश जारी कर दिया था कि एससी, एसटी और सभी श्रेणियों की छात्राओं से नामांकन या किसी भी प्रकार का शैक्षणिक शुल्क नहीं लिया जाएगा। इसके आलोक में विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी अपने अधीनस्थ सभी अंगीभूत एवं संबद्ध महाविद्यालयों को स्पष्ट निर्देश दिया था कि इन वर्गों से शुल्क नहीं लिया जाए, और यदि शुल्क लिया गया हो तो उसे अविलंब वापस किया जाए।
लेकिन सती भरत महाविद्यालय ने इन सभी आदेशों को दरकिनार कर दिया है। कॉलेज के सूचना पट पर जारी नामांकन शुल्क विवरण में एससी, एसटी और महिलाओं के लिए भी शुल्क निर्धारित कर दिया गया है, जो साफ तौर पर सरकारी नीतियों का उल्लंघन है।
मिथिला स्टूडेंट यूनियन के छात्र नेता किशन कुमार झा ने इस अवैध वसूली का विरोध करते हुए कहा, “जब राज्य सरकार और विश्वविद्यालय ने स्पष्ट आदेश जारी कर रखे हैं कि इन वर्गों से किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाएगा, तब कॉलेज प्रशासन किस आधार पर शुल्क वसूल रहा है?” उन्होंने इसे छात्रों के साथ धोखा करार देते हुए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है।
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वहीं छात्र नेता मो० सितारे ने आरोप लगाया कि कॉलेज में नामांकन के नाम पर हर वर्ष लाखों की अवैध उगाही की जाती है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस गैरकानूनी वसूली पर अविलंब रोक नहीं लगाई गई, तो छात्र संगठन चरणबद्ध आंदोलन शुरू करेगा।
इस पूरे मामले ने शिक्षा विभाग की कार्यशैली और विश्वविद्यालय प्रशासन की निष्क्रियता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो यह मुद्दा छात्र आंदोलनों का कारण बन सकता है।