Darbhanga News: बिहार के दरभंगा जिले में एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय पिछले 20 वर्षों से बिना भवन के चल रहा है। शिक्षा व्यवस्था की खस्ता हालत ने एक बार फिर राज्य सरकार और शिक्षा विभाग की नीतियों पर सवाल खड़े कर दिये हैं. हनुमाननगर प्रखंड के गोड़ियारी गांव के प्राथमिक विद्यालय लेवाटोल की यह कहानी न सिर्फ शिक्षा व्यवस्था की बदहाली का उदाहरण है, बल्कि बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ की गंभीर स्थिति को भी उजागर करती है.
यह विद्यालय खुले आसमान के नीचे संचालित होता है. यहां न तो क्लासरूम है, न ब्लैकबोर्ड, न ही बेंच. बच्चे पेड़ के नीचे बैठ कर पढ़ाई करते हैं. विशाल पीपल के पेड़ के चारों ओर बने सीमेंट के चबूतरे को ब्लैकबोर्ड के लिए लेपित कर दिया गया है। स्कूल में कक्षा एक से पांच तक रोटेशन के आधार पर शिक्षक पढ़ाते हैं. स्कूल में कुल छह शिक्षक हैं, जिनमें से चार बीपीएससी से चयनित और दो नियोजित शिक्षक हैं.
जानकारी के मुताबिक, 2003 में जब राजद सत्ता में थी, तब अत्यंत पिछड़े इलाकों के बच्चों को स्कूल तक लाने के लिए लोक शिक्षा केंद्र नाम से एक प्रयास शुरू किया गया था. जिसमें सरकार की सोच थी कि सबसे पिछड़े बच्चों को शिक्षित किया जाये. फिर तीन साल बाद 2006 में इसे प्राइमरी स्कूल में मर्ज कर दिया गया, लेकिन शुरू से ही स्कूल के पास अपना भवन नहीं था।
वहीं, स्कूल के प्रिंसिपल 2006 से लेकर अब तक कई बार सरकार और जिला प्रशासन से भवन के लिए गुहार लगा चुके हैं, लेकिन उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिला है. ग्रामीणों ने सरकारी जमीन उपलब्ध कराने के लिए 2016 में लोक शिकायत भी दर्ज करायी थी. हाल ही में 19.05.2025 को प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने जमीन उपलब्ध कराने के लिए अंचलाधिकारी को पत्र लिखा है. यह इलाका जेडीयू विधायक और बिहार सरकार में समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी का है. इस स्कूल की हालत शिक्षा व्यवस्था की तस्वीर बयां करती है. “यहाँ किताबें खुली हैं लेकिन छत नहीं है। बच्चे पढ़ते हैं, बारिश हो जाए तो घर भाग जाओ।”
विद्यालय की कक्षा 5 की छात्रा अंजली कुमारी ने बताया कि जब बारिश होती है तो घर जाना पड़ता है या फिर तेज धूप हो तो कक्षा में बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर होना पड़ता है. हम भी चाहते हैं कि स्कूल का अपना भवन हो, जहां हम बेंच डेस्क पर बैठकर पढ़ाई कर सकें. कुछ दिन पहले की बात है जब हम बैठ कर पढ़ाई कर रहे थे तभी एक पेड़ की एक शाखा टूट कर मेरे दोस्त पर गिर गयी। ख़तरा बरकरार है लेकिन क्या हम ऐसा करेंगे? हम सरकार से मांग करते हैं कि जल्द से जल्द एक भवन बनाया जाए जिसमें हम अच्छे से पढ़ाई कर सकें.
विद्यालय की छात्रा रानी कुमारी ने कहा कि जब से हम लोग पढ़ने के लिए विद्यालय आये हैं, पेड़ के नीचे जमीन पर बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं और हम चाहते हैं कि विद्यालय का अपना भवन हो, जहां हम अच्छे से पढ़ाई कर सकें. इस संबंध में जानकारी देते हुए पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि सुरेश प्रसाद सिंह ने कहा कि यह दुखद है कि स्कूल पेड़ के नीचे चल रहा है, ऐसा नहीं होना चाहिए था. लेकिन अब जमीन उपलब्ध हो रही है और विभागीय प्रक्रिया चल रही है. अब सरकार से यही मांग है कि जल्द से जल्द फंड मुहैया कराया जाए ताकि स्कूल भवन बनाया जा सके।