Miss India International: भारतीय सिनेमा और मॉडलिंग की दुनिया में अपनी पहचान बनाने वाली आयशा एस ऐमन का नाम आज नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। मिस इंडिया इंटरनेशनल का ताज जीतने तक आयशा का सफर संघर्ष, आत्मविश्वास और जुनून की मिसाल रहा है। लेकिन उनकी सबसे बड़ी पहचान उनके करियर से ज्यादा एक भावनात्मक फैसले से जुड़ी है – अपनी मां की अधूरी इच्छा को पूरा करने के लिए ‘सुप्रिया’ से ‘आयशा’ बनने का उनका फैसला।
आयशा बताती हैं कि उनका जन्म ‘सुप्रिया’ नाम से हुआ था और इसी नाम से उन्होंने पढ़ाई में ऊंचाइयां हासिल कीं। चाहे एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में ऑल इंडिया टॉप करना हो या अंतर्राष्ट्रीय मंच पर मिस इंडिया का प्रतिनिधित्व करना – ‘सुप्रिया’ उनके लिए कड़ी मेहनत और जुनून का प्रतीक थीं। लेकिन इन उपलब्धियों के पीछे उनकी मां की एक अधूरी इच्छा थी- अपनी बेटी का नाम ‘आयशा’ रखना। कई बार मां ने ये इच्छा जाहिर की और जब मां ने चौथी बार झुकी आंखों और हल्की सी मुस्कान के साथ ये बात दोहराई तो सुप्रिया ने उसी पल तय कर लिया कि वो ये सपना जरूर पूरा करेगी.
नाम बदलने का यह फैसला किसी करियर रणनीति का हिस्सा नहीं था। आयशा खुद कहती हैं, “यह सिर्फ एक बेटी का अपनी माँ की खामोश ख्वाहिश को पूरा करने का जज़्बा था।” उन्होंने अपना नाम बदलकर आधिकारिक रूप से ‘आयशा एस ऐमन’ रख लिया — जिसमें ‘आयशा’ माँ के सपनों का प्रतीक है, ‘S’ सुप्रिया के संघर्ष की निशानी और ‘ऐमन’ पारिवारिक जड़ों का प्रतिनिधित्व करता है।
जब ये नाम बदला और मां को पता चला तो उनकी आंखों में नमी और चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे. आयशा कहती हैं, “उस पल ऐसा लगा मानो मुझे कोई ताज नहीं बल्कि मेरी माँ का आशीर्वाद मिला हो।” उनके लिए यह बदलाव किसी पहचान का नहीं, बल्कि उनकी मां के प्यार और सपने के पूरा होने का प्रतीक था.
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आज जब कोई उन्हें ‘आयशा’ कहता है तो ऐसा नहीं लगता कि यह सिर्फ एक नाम है। आयशा भावुक होकर कहती हैं, ”यह नाम मां की पुकार जैसा लगता है- ‘आशा सा’। मैंने यह नाम अपनी मां को समर्पित किया है, जो हमेशा मेरे साथ रहेंगी।’ सुप्रिया से आयशा बनना शोहरत पाने का नहीं बल्कि अपनी मां के सपने को पूरा करने का सफर था।”