Darbhanga News: बिहार की राजनीति में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी बयानबाजी तेज हो गई है। इसी कड़ी में अलीनगर प्रखंड के जदयू से जुड़े मुस्लिम आज़ाद मंच के प्रखंड अध्यक्ष का एक बयान राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। प्रखंड अध्यक्ष ने महागठबंधन के नेताओं पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि तेजस्वी यादव, मुकेश सहानी और कांग्रेस जैसे दल केवल 18% मुस्लिम वोट बैंक के सहारे सत्ता का सपना देख रहें हैं, लेकिन मुस्लिम समाज के नेतृत्व और भविष्य के बारे में इनके पास कोई स्पष्ट योजना नहीं है।
उन्होंने आरोप लगाया कि मुस्लिम समाज को केवल डरा-धमका कर वोट लेने की रणनीति अपनायी जाती है। उन्होंने कहा, “तेजस्वी यादव ख़ुद कभी उपमुख्यमंत्री रखते हैं तो कभी नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में दिखते हैं, वहीं उनकी माता राबड़ी देवी विधान परिषद में विपक्ष की नेता हैं। बावजूद इसके मुस्लिम समाज के लिए कोई सशक्त नेतृत्व कभी सामने नहीं आया।” उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि महागठबंधन के नेता मुस्लिम समाज का सिर्फ़ राजनीतिक इस्तेमाल कर रहे हैं न कि उन्हें कोई ठोस प्रतिनिधित्व देते हैं देने के पक्षधर हैं।
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प्रखंड अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कार्यशैली और उनके धर्मनिरपेक्ष छवि की सराहना करते हुए कहा कि नीतीश कुमार ने अपने दो दशकों के लंबे कार्यकाल में कभी जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज को अब यह समझने की ज़रूरत है कि उन्हें किस नेतृत्व के साथ आगे बढ़ना है। और उन्होंने मुस्लिम समाज से अपील की है कि वे आने वाले विधानसभा चुनावों में नीतीश कुमार को समर्थन दे और महागठबंधन को करारा जवाब दें।
इस बयान को आगामी विधानसभा चुनावों से पहले महत्वपूर्ण राजनीतिक संदेश के रूप में देखा जा रहा है। यह साफ़ है कि अब मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति के बाद महागठबंधन तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि जदयू के भीतर से भी मुस्लिम नेताओं की आवाज़ मुखर होने लगी है। अब देखने वाली बात यह होगी कि इस बयान का क्या असर होता है और मुस्लिम मतदाता किस ओर रुझान दिखाते हैं।