Darbhanga Mahotsav 2025 : मिथिला की सांस्कृतिक विरासत और औद्योगिक संभावनाओं को संजोए दरभंगा महोत्सव की शुरुआत पाग शोभा यात्रा के साथ हुई। यह भव्य यात्रा विद्यापति चौक से शुरू होकर वहां स्थित महाकवि विद्यापति की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद श्यामा माई मंदिर पहुंची. वहां मां श्यामा से महोत्सव की सफलता की कामना की गयी.महोत्सव के तीसरे सत्र में कामेश्वर नगर के चौरंगी में मिथिला में औद्योगिक विकास एवं स्वरोजगार की संभावनाएं विषय पर मंथन शिविर का आयोजन किया गया. सत्र की शुरुआत ऋषभ के मंगल शंख ध्वनि से हुई, जिसके बाद गौरव झा ने अपनी मधुर आवाज में स्वागत गीत प्रस्तुत कर अतिथियों का अभिनंदन किया.
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कार्यक्रम में मुख्य अतिथि चेतना समिति की अध्यक्ष निशा झा, परियोजना पदाधिकारी (उद्योग विभाग) शुरुचि झा, पूर्व प्राचार्य प्रो विद्यानाथ झा, इतिहासकार अवनींद्र झा, जयशंकर झा समेत अन्य विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे.मुख्य अतिथि निशा झा ने अपने संबोधन में महाराज रामेश्वर सिंह की औद्योगिक नीतियों को याद करते हुए कहा. “मिथिला को पुनः उसी स्वरूप में स्थापित किया जाए तो क्षेत्र का नवनिर्माण निश्चित है। बिहार के उद्योग एवं पर्यटन मंत्री मिथिला से हैं, इसलिए उन्हें यहां के बुद्धिजीवियों से सुझाव लेकर औद्योगिक विकास को गति देनी चाहिए।” उन्होंने खासकर मिथिला के कुटीर उद्योगों के विपणन पर जोर दिया और सरकार से नीति निर्माण की मांग की.
इतिहासकार अवनींद्र झा ने मिथिला के स्वर्णिम औद्योगिक इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा. एक समय यहाँ कपास और बुनाई उद्योग अत्यंत समृद्ध थे। कृषि एवं पशुपालन भी इस क्षेत्र के आर्थिक विकास की रीढ़ रहे हैं। यदि इन पर उचित नियोजन किया जाए तो मिथिला की अर्थव्यवस्था को गति मिल सकती है। परियोजना पदाधिकारी शुरुचि झा ने स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनाओं एवं प्रशिक्षण कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की.अध्यक्षीय भाषण में प्रो विद्यानाथ झा ने कहा, मिथिला के व्यंजन में ‘मखान’ को वैश्विक पहचान मिल चुकी है, अब अन्य स्थानीय उत्पादों को भी मार्केटिंग के माध्यम से विस्तारित करने की जरूरत है. साथ ही मिथिला के ‘रेहू’ को जीआई टैग दिलाने की पहल तेज की जाये, जिससे यहां का मछली बाजार समृद्ध होगा.
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जयशंकर झा, नारायण जी चौधरी, प्रो अशोक कुमार सिंह, समाजवादी अजीत मिश्र ने दरभंगा महोत्सव के आयोजन समेत उद्योग जगत पर अपने विचार रखे. अन्य विद्वानों ने भी अपने विचार प्रस्तुत किये। महोत्सव के तीसरे सत्र में सांस्कृतिक संध्या में मिथिला की सांस्कृतिक विरासत को समर्पित ‘गीतनाद’ श्रृंखला का आयोजन किया गया, जिसमें स्थानीय युवा कलाकारों ने अपनी मधुर प्रस्तुतियों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया. लोक गायिका चांदनी झा चकोर ने ‘तोरे भरोसे ब्रह्मा बाबा’ गीत प्रस्तुत कर दर्शकों को मिथिला की सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ा। वहीं, गौरव झा, आलोक भारती, शोभा भारती, मौसम चौधरी, ऋषभ भारद्वाज, सुमित झा और प्रिया प्रशांत ने भी अपनी मधुर गायकी से समां बांधा.
कार्यक्रम के अंत में निदेशक संतोष चौधरी ने कहा कि चिंतन शिविर में प्राप्त सुझावों एवं विचारों को मूर्त रूप देने के लिए आयोजन समिति निरंतर कार्य करेगी. कार्यक्रम संयोजक अभिषेक कुमार झा ने सभी अतिथियों का स्वागत एवं अमित कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया. कार्यक्रम में सपना, आकृति, रूपेश, रणवीर, ललित, केशव सहित सैकड़ों सदस्यों ने भाग लिया।