Rath Yatra 2025: झारखंड और पश्चिम बंगाल की सीमा पर स्थित चिरकुंडा थाना परिसर से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा धूमधाम से निकाली गयी. यह यात्रा कुमारधुबी होते हुए मैथन पहुंची. निरसा विधायक अरूप चटर्जी ने सबसे पहले भगवान जगन्नाथ की मंगल आरती की और पुजारी द्वारा मंत्रोच्चार के साथ रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. हजारों भक्तों ने बड़ी आस्था के साथ भगवान का स्मरण करते हुए, गाते हुए, नाचते हुए और रस्सियाँ खींचते हुए रथ को आगे बढ़ाया।
जानकारी देते हुए निरसा विधायक अरूप चटर्जी ने बताया कि मैथन पोस्ट ऑफिस के पीछे भव्य जगन्नाथ मंदिर का निर्माण कराया जा रहा है, जो जिले का सबसे भव्य मंदिर होगा. सूर्योदय सेवा समिति के सदस्य श्याम ने बताया कि रथयात्रा कई वर्षों से चिरकुंडा थाना मोड से शुरू की जाती रही है और आगे भी जारी रहेगी. भगवान जगन्नाथ में लोगों की बहुत आस्था है और भगवान जगन्नाथ सभी की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
यह रथ यात्रा आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को शुरू होती है, जिसे बहुत खास माना जाता है। इस साल जगन्नाथ रथ यात्रा आज 27 जून से शुरू होगी और 6 जुलाई तक चलेगी. यह 10 दिवसीय धार्मिक उत्सव भक्तों की आस्था और संस्कृति का प्रतीक है।
आज भगवान जगन्नाथ महाप्रभु अपने बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होकर ‘मौसी के घर’ के लिए रवाना हुए. भगवान जगन्नाथ नंदीघोष नामक रथ पर, बलभद्र तालध्वज नामक रथ पर और सुभद्रा दर्पदलन नामक रथ पर विराजमान होती हैं. इन रथों को हजारों भक्त मिलकर भारी रस्सियों से खींचते हैं.
धार्मिक महत्व एवं गुण
रथ को रस्सियों से खींचना बहुत पुण्य का कार्य माना जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जगन्नाथ रथ यात्रा का आशीर्वाद “100 यज्ञों के बराबर पुण्य” प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति रथ खींचता है या उसमें यात्रा करता है उसे पाप से मुक्त होने का अधिकार मिल जाता है। यही कारण है कि आज इस आयोजन में हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं।
Also Read: उपचार का पवित्र नृत्य: नृत्यामृत के माध्यम से शांभवी शर्मा की कुचिपुड़ी विरासत