Patna News: बिहार की राजधानी पटना आज सामाजिक चेतना और अधिकारों की गूंज से सराबोर रही, जब मिलर हाई स्कूल मैदान में प्रजापति समाज की ऐतिहासिक हुंकार रैली आयोजित की गई। बिहार कुम्हार प्रजापति समन्वय समिति के तत्वावधान में हुई इस रैली में प्रदेश के कोने-कोने से हजारों की संख्या में समाज के लोग जुटे और सामाजिक, राजनीतिक तथा आर्थिक अधिकारों की पुरजोर मांग उठाई।
रैली का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रीय प्रजापति महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष दारा सिंह प्रजापति ने कहा, “अब समय आ गया है कि प्रजापति समाज खुद को केवल पारंपरिक पेशे तक सीमित न रखे। हमें शिक्षा, राजनीति और प्रशासन में अपनी भागीदारी दर्ज करानी होगी। हमारी चुप्पी अब नहीं चलेगी।”
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि, मध्यप्रदेश के छतरपुर से पूर्व विधायक आर. डी. प्रजापति ने कहा, “लोकतंत्र में निर्णय लेने की प्रक्रिया में जब तक समाज की भागीदारी नहीं होगी, तब तक उसका सशक्तिकरण अधूरा रहेगा। आबादी के अनुपात में राजनीतिक प्रतिनिधित्व लोकतंत्र की आत्मा है।”
समिति के अध्यक्ष रूपेश कुमार ने रैली की अध्यक्षता करते हुए कहा कि मंडल आयोग के लागू होने के बाद भी कुम्हार जाति को वह राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं मिला जिसका वह हकदार है। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी सुनिश्चित करने की अपील की।
रैली का संचालन कर रहे समिति के प्रदेश महासचिव पिंटू गुरुजी ने कहा कि प्रजापति समाज आज भी ‘अत्यंत पिछड़ा’ वर्ग के रूप में उपेक्षित है और सरकारों को इस वर्ग के लिए विशेष सुरक्षात्मक कानून बनाने चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि समाज को एकजुट होकर अपने हक की लड़ाई को तेज करना होगा।
रैली में समाज के सांस्कृतिक योगदान, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और वर्तमान चुनौतियों पर भी चर्चा हुई। वक्ताओं ने बताया कि सदियों से मिट्टी की कला में दक्ष यह समाज आज भी समाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ है, जिसे बदलने के लिए ठोस नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
प्रमुख मांगें:
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प्रजापति समाज को अनुसूचित जाति (SC) में शामिल किया जाए।
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राजनीतिक प्रतिनिधित्व आबादी के अनुपात में सुनिश्चित किया जाए।
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पारंपरिक कुम्हारी कला को संरक्षित करने के लिए मिट्टी कला बोर्ड का गठन किया जाए।
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समाज के युवाओं को शिक्षा, तकनीकी प्रशिक्षण और रोजगार में प्राथमिकता दी जाए।
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अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए राष्ट्रीय आयोग तथा सुरक्षात्मक कानून बनाया जाए।
रैली में महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों की उल्लेखनीय उपस्थिति ने यह संदेश स्पष्ट कर दिया कि प्रजापति समाज अब चुप नहीं बैठने वाला। यह आंदोलन सामाजिक न्याय की नई इबारत लिखने को तैयार है।
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इस रैली ने न केवल सरकार और राजनीतिक दलों का ध्यान आकृष्ट किया है, बल्कि सामाजिक बदलाव के विमर्श में भी एक नई हलचल पैदा कर दी है। आने वाले दिनों में यह हुंकार और बुलंद होने की पूरी संभावना रखती है।