Bokaro: बोकारो स्टील लिमिटेड (BSL) के एडीएम मुख्य द्वार पर चल रहे आंदोलन के दौरान विस्थापितों के बेटा प्रेम कुमार महतो की संदिग्ध मृत्यु ने झारखंड की राजनीति में भूचाल ला दिया है। यह मामला अब पूरे राज्य में तूल पकड़ चुका है और विभिन्न संगठनों द्वारा विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं।
झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा के केंद्रीय वरीय उपाध्यक्ष व आंदोलनकारी नेता देवेंद्र नाथ महतो के नेतृत्व में रांची के ऐतिहासिक अल्बर्ट एक्का चौक पर कैंडल मार्च निकाला गया एवं बीएसएल महाप्रबंधक का पुतला दहन कर रोष व्यक्त किया गया।
प्रेस को संबोधित करते हुए देवेंद्र नाथ महतो ने कहा, “बोकारो में प्रेम कुमार महतो की मौत केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या है। राज्य में माफिया, कंपनी और प्रशासन की तिकड़ी मिलकर जनता पर दमनकारी रवैया अपना रही है। विस्थापितों के साथ अन्याय लगातार बढ़ता जा रहा है।”
उन्होंने आगे कहा कि केवल बोकारो ही नहीं, बल्कि मांडू, सिंदरी, बड़कागांव, मुरी, जमशेदपुर और रांची जैसे इलाकों में भी कंपनियों का गुंडाराज चल रहा है। “यहां के सफेदपोश अब जनता के प्रतिनिधि नहीं, बल्कि कंपनियों के साझेदार बन चुके हैं,” उन्होंने तीखा आरोप लगाया।
मांगें और आक्रोश
देवेंद्र नाथ महतो ने आंदोलन के माध्यम से राज्य सरकार और कंपनी प्रशासन से मांग की है कि:
मृतक प्रेम कुमार महतो के परिवार को एक करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाए,
परिवार के पांच सदस्यों को तत्काल नौकरी दी जाए,
कंपनी और विस्थापितों के बीच हर महीने नियमित बैठक की तिथि तय की जाए।
उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने इन मांगों पर त्वरित कार्रवाई नहीं की, तो पूरे झारखंड में बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा।
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छात्रों की सक्रिय भागीदारी
कैंडल मार्च में बड़ी संख्या में छात्रों ने हिस्सा लिया। वे कंपनी और प्रशासन के खिलाफ जोरदार नारेबाजी कर रहे थे और न्याय की मांग कर रहे थे। युवाओं का यह आक्रोश यह संकेत देता है कि यह आंदोलन अब केवल विस्थापितों का नहीं, बल्कि झारखंड के आम नागरिकों का बनता जा रहा है।