Hool Diwas 2025: झारखंड समेत पूरे देश में आज हूल दिवस मनाया गया. आदिवासी समाज ने उनकी शौर्यगाथा को याद किया. झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (jharkhand loktantrik krantikari morcha) ने भी कान्हो पार्क रांची में भव्य तरीके से मनाकर सिद्धों को याद किया और उनके संघर्ष के दिनों पर प्रकाश डाला. संगठन के केंद्रीय वरीय उपाध्यक्ष देवेन्द्रनाथ महतो (Devendranath Mahato) ने अपने पदाधिकारियों के साथ होली दिवस धूमधाम से मनाया। उन्होंने सांस्कृतिक वेशभूषा में सिद्घू, कान्हू, चांद, भैरव, फूल और झानो की जय बोलते हुए नृत्य किया।
देवेन्द्रनाथ महतो ने कहा कि आज का दिन हमारे लिए न सिर्फ स्मृति का दिन है, बल्कि हमारे लिए प्रेरणा का दिन भी है. आज ही के दिन 30 जून 1855 को आंदोलन का बिगुल बजाया गया था जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ पहला संगठित आंदोलन था। साहिबगंज के भोगनाडीह से ब्रिटिश सरकार ने जमीन हड़पने वाले जमींदारों, सूदखोर साहूकारों और शोषक राजनेताओं के खिलाफ हथियार उठाए थे। समाज के आर्थिक एवं सामाजिक उत्पीड़न के विरुद्ध आवाज उठाई गई।
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जल,जंगल, जमीन बचाने की निव रखी गई थी। बाहरी तत्वों के खिलाफ और क्षेत्रीय अधिकार,आरक्षण व सम्मान को लेकर हमारा संघर्ष अब भी निरंतर जारी है। सरकारी तंत्र गलत तरीके से आदिवासी-मूलवासी के जमीन व प्राकृतिक धरोहर को बेचने में अपना संरक्षण दे रही है। सरकार को हर हाल में यहां के क्षेत्रीय समुचित अधिकार सुनिश्चित करना होगा।
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हूल दिवस महोत्सव (hool day festival) के दौरान रांची जिला अध्यक्ष आलोक उंराव, पार्वती देवी, संतोष साहू, चंदन रजक, रविंद्र दीपक,अनूप सिंह,अजहर अंसारी, प्रभाकर आदि संगठन के पदाधिकारी मौजूद रहे। आपको बता दें कि आज यह दिन पश्चिम बंगाल, बिहार, असम और उड़ीसा आदि राज्यों में भी मनाया जाता है।