Ranchi: आदिवासी अधिकारों और खतियान आधारित नीतियों की मांग को लेकर झारखंड में चल रहे आंदोलनों को और बल मिला है। झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम) ने 4 जून को आदिवासी बचाओ मोर्चा द्वारा आहूत झारखंड बंद को नैतिक समर्थन देने की घोषणा की है। साथ ही 5 जून को रांची स्थित राजभवन के समक्ष खतियानी महाधरना आयोजित किया जाएगा।
बूटी मोड़ से शुरू होगी पदयात्रा
जेएलकेएम के केंद्रीय वरीय उपाध्यक्ष और आंदोलनकारी नेता देवेन्द्र नाथ महतो ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी दी कि 5 जून को सुबह 11 बजे बूटी मोड़ से खतियानी पदयात्रा निकाली जाएगी, जो राजभवन पहुंचकर महाधरना में तब्दील हो जाएगी।
15 मई से दुमका से शुरू हुई थी पदयात्रा
देवेन्द्र नाथ महतो ने बताया कि यह पदयात्रा 15 मई को दुमका से शुरू की गई थी, जो राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से होकर 570 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए अब अंतिम चरण में पहुंच रही है। पदयात्रा का उद्देश्य झारखंडियों की पहचान, अधिकार और सम्मान के लिए खतियान आधारित नीतियों की मांग को मजबूत करना है।
आदिवासियों की मांगें हों पूरी
महतो ने झारखंड सरकार से मांग की कि आदिवासी बचाओ मोर्चा की सभी मांगों को अविलंब पूरा किया जाए। उन्होंने कहा कि झारखंड अलग राज्य आंदोलन में बड़ी संख्या में आदिवासियों ने अपनी शहादत दी है और आज राज्य में एक आदिवासी मुख्यमंत्री हैं, इसलिए सरकार को इन मांगों को गंभीरता से लेना चाहिए।
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अबुआ राज की स्थापना तक जारी रहेगा संघर्ष
देवेन्द्र नाथ महतो ने झारखंडवासियों से विशेषकर रांची जिला और रांची लोकसभा क्षेत्र के लोगों से अपील की कि वे 5 जून को महाधरना में अधिक से अधिक संख्या में शामिल हों। उन्होंने दोहराया कि जब तक खतियान आधारित स्थानीय नीति, नियोजन नीति, उद्योग नीति, विस्थापन नीति और पुनर्वास नीति लागू नहीं होती, तब तक ‘अबुआ राज’ की स्थापना के लिए संघर्ष जारी रहेगा।