Katmandu: नेपाल की राजनीति में एक नई हलचल मचाते हुए मधेशवादी दलों ने मिलकर संघीय लोकतांत्रिक मोर्चा का गठन किया है। गुरुवार को काठमांडू में आयोजित एक संयुक्त कार्यक्रम के दौरान छह प्रमुख मधेशवादी दलों ने इस मोर्चे की घोषणा की। इस नए राजनीतिक मंच के माध्यम से मधेशी समुदाय के अधिकारों की रक्षा और क्षेत्रीय विकास को प्राथमिकता देने की बात कही गई है।
इस मोर्चे में जनता समाजवादी पार्टी, लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय मुक्ति पार्टी, जनमत पार्टी, तराई मधेश लोकतांत्रिक पार्टी और जनता प्रगतिशील पार्टी शामिल हैं। इन दलों के प्रमुख नेताओं — महंथ ठाकुर, उपेन्द्र यादव, राजेन्द्र महतो, डॉ. सी.के. राउत, बृषेश चंद्र लाल और हृदेश त्रिपाठी — ने संयुक्त रूप से इस मोर्चे के गठन पर हस्ताक्षर किए और इसे औपचारिक रूप से सार्वजनिक किया।
गठबंधन के बाद जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि नेपाल को एक संप्रभु, धर्मनिरपेक्ष, बहुजातीय, बहुभाषिक, बहुसांस्कृतिक, संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में स्वीकार करने की प्रतिबद्धता जताई गई है। मोर्चे ने एक बारह सूत्रीय घोषणा पत्र भी जारी किया है, जिसमें मधेशियों को समान अधिकार, प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा, प्रांतीय पुलिस व्यवस्था, अल्पसंख्यकों, दलितों, थारू और जनजातीय समुदायों के अधिकार सुनिश्चित करने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को शामिल किया गया है।
घोषणा पत्र में यह भी मांग की गई है कि मधेश आंदोलन में शहीद हुए लोगों के परिजनों को सरकारी नौकरी और उचित मुआवज़ा दिया जाए।
हालांकि, इस राजनीतिक पहल को लेकर आम मधेशी जनता की राय बंटी हुई दिखाई दे रही है। कई गैर-दलगत मधेशी नागरिकों ने इस गठबंधन को “सत्तालोलुप गठजोड़” करार दिया है। लोगों का आरोप है कि उपेन्द्र यादव और महंथ ठाकुर जैसे नेताओं ने बार-बार मधेशी जनता के साथ विश्वासघात किया है। सत्ता के लालच में मधेश के मूल मुद्दों को भुला दिया गया है और दलों को तोड़कर बार-बार नया मंच बनाना जनता के साथ धोखा है।
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वहीं दूसरी ओर, मोर्चे से जुड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इस पहल को ऐतिहासिक करार दिया है। उनका कहना है कि यह गठबंधन मधेशी अधिकारों की रक्षा और संघीय ढांचे को मजबूत करने की दिशा में एक ठोस कदम है।