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Madhubani News : एईएस व जेई के संभावित खतरों से निपटने की तैयारियों में जुटा विभाग

Jitendra Bhagat
Last updated: February 24, 2025 8:45 pm
Jitendra Bhagat
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4 Min Read
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Madhubani News :एईएस और जेई के संभावित खतरों से निपटने के लिए मधुबनी स्वास्थ्य विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है. इसी कड़ी में सोमवार को जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. डी.एस. सिंह की अध्यक्षता में एईएस और जेई यानी चमकी बुखार और इंसेफेलाइटिस से संबंधित एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया.प्रशिक्षण: सभी प्रखंड एवं अनुमंडलीय अस्पतालों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी एवं एक-एक चिकित्सा पदाधिकारी एवं अधीक्षक, चारों अनुमंडलीय अस्पतालों के डीएस एवं सदर अस्पताल के दो-दो चिकित्सा पदाधिकारियों को एईएस एवं जेई से संबंधित प्रशिक्षण दिया गया.प्रशिक्षण डॉ. सतीश कुमार एवं जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. डी.एस. सिंह द्वारा दिया गया। डॉ. सिंह ने कहा कि चमकी बुखार और दिमागी बुखार का कुशल प्रबंधन जरूरी है.शुरुआती दौर में ही बीमारी की पहचान कर इलाज करने से जान-माल के नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसलिए स्वास्थ्य अधिकारियों व कर्मियों को इसे लेकर विशेष रूप से सतर्क रहने की जरूरत है.

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अप्रैल से मई का महीना बीमारी के लिहाज से बेहद संवेदनशील होता है:

वेक्टर नियंत्रण रोग पदाधिकारी साधना कुमारी ने बताया कि पिछले साल सितंबर माह में जिले के बासोपट्टी प्रखंड में जेई का एक मरीज सामने आया था, जिसे लेकर सतर्कता जरूरी है.उन्होंने कहा कि बीमारी के प्रसार के लिहाज से अप्रैल से मई तक का महीना काफी संवेदनशील माना जाता है. यह बीमारी विशेषकर 01 से 15 वर्ष तक के बच्चों को प्रभावित करती है।कुपोषित बच्चे, रात में बिना पूरा खाना खाए सोने वाले बच्चे, खाली पेट तेज धूप में देर तक खेलने वाले बच्चे या कच्ची और अधपकी लीची खाने वाले बच्चे इस रोग से आसानी से प्रभावित हो सकते हैं।उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण का मूल उद्देश्य चमकी बुखार और दिमागी बुखार के संभावित खतरों से प्रभावी ढंग से निपटना, इसकी रोकथाम और प्रबंधन के साथ-साथ संबंधित मामलों की रिपोर्टिंग के लिए एक स्पष्ट दृष्टिकोण विकसित करना है।उन्होंने स्वास्थ्य अधिकारियों को प्रशिक्षण से प्राप्त जानकारी को ग्राम स्तर पर कार्यरत एएनएम, आशा, आंगनबाडी सेविकाओं एवं जीविका दीदियों के साथ साझा करने का निर्देश दिया.

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रोगग्रस्त बच्चों का समुचित इलाज जरूरी :

डॉ. सिंह ने स्वास्थ्य अधिकारियों एवं कर्मियों को रोग प्रबंधन एवं उपचार से संबंधित विस्तृत जानकारी दी.उन्होंने कहा कि सिरदर्द, तेज बुखार, अर्धबेहोशी, मरीज को पहचानने की क्षमता में कमी, भ्रम की स्थिति में रहना, शरीर में बेहोशी, हाथ-पैर कांपना, रोगग्रस्त बच्चों का शारीरिक व मानसिक संतुलन बिगड़ना एईएस व जेई के सामान्य लक्षण हैं.अच्छा महसूस न करना मेनिनजाइटिस का एक महत्वपूर्ण लक्षण है। इन लक्षणों के प्रकट होने से पहले बुखार हो भी सकता है और नहीं भी। ऐसे मामले सामने आने पर बीमारी से पीड़ित बच्चों का उचित इलाज जरूरी है।इसलिए उन्होंने बीमारी के समुचित प्रबंधन के उद्देश्य से हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर से लेकर सभी प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में एईएस आपातकालीन दवा किट की उपलब्धता सुनिश्चित करने की बात कही.डीवीडीसीओ ने कहा है कि बीमारी से संबंधित गंभीर मामलों की स्थिति में उन्हें इलेक्ट्रिक एम्बुलेंस उपलब्ध संरचनाओं वाले उच्च चिकित्सा संस्थानों में आवश्यक उपचार प्रदान करना आवश्यक है, ताकि मरीजों का इलाज संभव हो सके।

प्राणघातक बीमारी है एईएस व जेई :

वीडीसीओ पुरूषोत्तम कुमार ने स्वास्थ्य अधिकारियों एवं कर्मियों को बीमारी से संबंधित सभी तकनीकी पहलुओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एईएस और जेई जानलेवा बीमारी है. यदि बीमारी का सही समय पर उचित प्रबंधन न किया जाए तो बीमार बच्चों की मृत्यु हो सकती है।

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