Mithila Vikas Board : मिथिला विकास बोर्ड की मांग को लेकर मिथिला वादी पार्टी द्वारा आहूत 50 दिवसीय पद यात्रा आज तीसरे दिन बिरौल पहुंची. बिरौल में यात्रा का नेतृत्व नवीन सहनी व शिवम प्रणब ने किया. यात्रा बिरौल से शुरू होकर पोखराम-पड़री होते हुए कहुआ पहुंची. वहां से नेउरी होते हुए शिवनगर घाट होते हुए भवानीपुर पहुंचे। जहां रात्रि विश्राम किया गया। इस यात्रा की अध्यक्षता स्वयं राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अविनाश भारद्वाज कर रहे हैं। यात्रा की शुरुआत में भगत सिंह चौक पर उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की गई।
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पद यात्रा के दौरान सभा को संबोधित करते हुए जिलाध्यक्ष व जिप सदस्य अमित कुमार ठाकुर ने कहा.
न तो अब तक पलायन का कोई ठोस समाधान खोजा जा सका है और न ही मैथिली को संवैधानिक भाषा के रूप में उचित अधिकार मिल सका है। पार्टी का मुख्य एजेंडा मिथिला का औद्योगीकरण और विकास संभव होगा.पौराणिक काल से ही मिथिला अपनी सभ्यता और संस्कृति के लिए चर्चित क्षेत्र रहा है। राज्य स्थापना के बाद ही इस क्षेत्र के सर्वागीण विकास की बात सोची जा सकती है । कृषि , उद्योग-धंधा , पर्यटन , शिक्षा एवं संस्कृति के विकास से ही इस क्षेत्र की दुर्दशा तथा बेरोजगारी का अंत हो सकता है तथा लोगों को पलायन रुक सकता है। परन्तु वर्तमान की सरकार मिथिला विरोधी है ।
मिथिला के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक, शैक्षणिक, साहित्यिक और भाषा के क्षेत्र में समग्र विकास के लिए , मिथिला सूखा और बाढ़ का निरंतर शिकार होता आ रहा है । जहां एक और खेती चौपट हो गई है, वहीं मिथिला के मजदूर पलायन करने को विवश हो रहे हैं।चीनी मिल, पेपर मिल, जूट मिल व अन्य उद्योग – धंधे आदि यहां कबाड़ का ढेर मात्र बने हुए हैं। कृषि , उद्योग-धंधा , पर्यटन , शिक्षा एवं संस्कृति के विकास से ही इस क्षेत्र की दुर्दशा तथा बेरोजगारी का अंत हो सकता है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अविनाश भारद्वाज ने कहा कि: पूरे मिथिला में लगभग 84 प्रतिशत लोग कृषि पर निर्भर हैं लेकिन कृषि विकास दर केवल 18 प्रतिशत है. मिथिला में 14 चीनी मिल, 6 जुट मिल, 1 पेपर मिल, 2 सूत मिल में से अभी सिर्फ 3 चीनी मिल कार्यरत हैं बंकि सभी बंद हैं । चीनी मिल के नाम पर पिछले 5 वर्षों में महाराष्ट्र को 22 हजार करोड़ रुपया दिया गया लेकिन मिथिला को एक फूटी कौड़ी नहीं । बिहार की कुल बजट 2 लाख 8 हजार करोड़ हैं जो दिल्ली के बजट के 3 गुना से भी ज्यादा हैं लेकिन हमारे सरकार इतना पैसा का करती क्या हैं ?
25 हजार करोड़ रूपये शिक्षा पर खर्च किये जा रहे हैं लेकिन सिर्फ 33 प्रतिशत बच्चे ही सरकारी स्कूल में पढ़ रहे हैं, ऐसा क्यों ? 8 हजार करोड़ रूपये हर वर्ष बिजली के लिए खर्च किये जा रहे हैं लेकिन बिजली की स्थिति किसी से छुपा हुआ नहीं हैं । अब वक्त आ गया हैं की हम सवाल करे और अपने प्रतिनिधि से जवाब मांगे आप सभी से अनुरोध हैं की मिथिला विकास बोर्ड के मांग को हर प्लेटफोर्म पर उठाये ।
इस यात्रा में पार्टी के नेता गोपाल चौधरी ,प्रखंड अध्यक्ष उमेश साहू , राष्ट्रीय महासचिव वीरेंद्र कुमार , जिला अध्यक्ष नीरज क्रांतिकारी , उपाध्यक्ष मो कलाम , सुमित माउबेटिया , गौतम चौधरी , संतोष साहू , दिलीफ़ पासवान , गौतम झा , विशाल सहनी, मुकेश मुखिया, भरत सहनी,ललित सहनी , अभिषेक यादव, , दीपेश ठाकुर, अजय सिंह, नितीश पासवान उपस्थित थे।