Madhubani: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के झंझारपुर दौरे के अवसर पर मिथिलावादी पार्टी ने केंद्र सरकार से जोरदार मांग की है कि मैथिली भाषा को तत्काल क्लासिकल भाषा (शास्त्रीय भाषा) के रूप में अधिसूचित किया जाए। इस संबंध में पार्टी की वरिष्ठ नेत्री प्रियंका मिश्रा ने मीडिया से बातचीत के दौरान कई गंभीर बिंदुओं को सामने रखा।
प्रियंका मिश्रा ने कहा कि भारत सरकार ने असमिया, बंगला और मराठी जैसी भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया है, जबकि मैथिली भाषा इन सभी से अधिक प्राचीन, समृद्ध और सांस्कृतिक रूप से विशिष्ट है। “ऐसे में मैथिली के साथ हो रहा यह भेदभाव निंदनीय है,” उन्होंने कहा।
उन्होंने बताया कि बिहार सरकार ने 18 नवंबर 2024 को मैथिली को क्लासिकल भाषा का दर्जा देने की संस्तुति केंद्र सरकार को भेजी थी। इसके बाद मार्च 2025 में राज्य के शिक्षा मंत्री ने भी इस मुद्दे को पुनः केंद्र के समक्ष उठाया था, लेकिन अब तक केंद्र सरकार की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
प्रियंका मिश्रा ने कहा, “यह स्पष्ट है कि केंद्र सरकार मैथिली भाषा के साथ अन्याय कर रही है। यह सिर्फ भाषा का नहीं, बल्कि पूरे मिथिला समाज की उपेक्षा का प्रतीक है।” उन्होंने प्रधानमंत्री से मांग की कि मिथिला की धरती पर आकर वे इस बहुप्रतीक्षित घोषणा को अवश्य करें।
मिथिलावादी पार्टी ने यह भी चेतावनी दी कि यदि केंद्र सरकार जल्द ही मैथिली को क्लासिकल भाषा का दर्जा नहीं देती, तो पार्टी प्रधानमंत्री की आगामी मधुबनी यात्रा के दौरान विरोध प्रदर्शन करेगी।
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नेत्री प्रियंका मिश्रा ने प्रधानमंत्री से सीधा आग्रह करते हुए कहा:
“प्रधानमंत्री जी, आप मिथिला की पावन भूमि पर आ रहे हैं। यह हमारी आपसे हार्दिक अपेक्षा है कि आप यहीं से मैथिली को क्लासिकल भाषा घोषित करने की घोषणा करें। यही संपूर्ण मिथिला की भावनाओं का सम्मान होगा।”
प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा को लेकर जहां प्रशासनिक तैयारियाँ चरम पर हैं, वहीं इस मुद्दे ने राजनीतिक और सांस्कृतिक हलकों में नई चर्चा छेड़ दी है। अब सभी की निगाहें प्रधानमंत्री के संभावित बयान पर टिकी हुई हैं।