Janakpur/Nepal : 9 मार्च को काठमांडू में राजतंत्र की स्थापना के लिए एक लाख से अधिक लोगों ने प्रदर्शन किया। इसमें राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के नेता और कार्यकर्ता शामिल हुए. उनके हाथों में नेपाल का राष्ट्रीय ध्वज और “राजा लाओ, देश बचाओ”, “नेपाल को हिंदू राष्ट्र घोषित करो” जैसे नारे लिखी तख्तियां थीं।नेपाल के सभी जिलों से लोग पारंपरिक पोशाक में गाजे-बाजे के साथ काठमांडू पहुंचे. एकत्रित भीड़ नारायण हिति दरवार के सामने विरोध प्रदर्शन कर रही थी. प्रदर्शन को देखते हुए सरकार ने बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया था.
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प्रदर्शन के दौरान कोई अप्रिय घटना नहीं घटी. प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच सामान्य झड़प हुई. प्रदर्शनकारियों का हौसला बढ़ाने के लिए पूर्व राजा ज्ञानेंद्र भी शामिल हो गए. गणतंत्र की स्थापना के बाद यह सबसे बड़ा प्रदर्शन था.जनकपुरधाम और अन्य जिलों की जनता का वैचारिक समर्थन राजशाही के पक्ष में देखा गया. गणतंत्र की स्थापना के बाद किसी भी सरकार ने अपना पाँच वर्ष का कार्यकाल पूरा नहीं किया। सत्ता के लालच में सीपीएन-एमएल और नेपाली कांग्रेस एक दूसरे के कट्टर प्रतिद्वंद्वी थे.
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गठबंधन सरकार बनी है. ईसाइयों और मुसलमानों द्वारा धर्मांतरण, नेपाल में हजारों मदरसों और चर्चों की स्थापना, रोहिंग्या, बांग्लादेशी घुसपैठ आदि समस्याओं के कारण भी नेपाली लोग सरकार से नाराज हैं।इधर, नेपाल के गृह मंत्री रमेश लालकर ने पत्रकारों को जानकारी दी है कि राजभक्त कितना भी विरोध करें, गणतंत्र हटने वाला नहीं है. भाड़े के प्रदर्शनकारियों से गणतंत्र को हटाना संभव नहीं है। हजारों नेपाली लोगों ने बलिदान देकर गणतंत्र की स्थापना की है।
सुमित कुमार राउत


















