Gumla News: गुमला में केंद्र व राज्य सरकार जहां आदिम जनजातियों के लिए कई योजनाएं उनके घर तक पहुंचाने का दावा करती है, वहीं चैनपुर प्रखंड के काटिंग पंचायत स्थित ब्रह्मपुर जोबला पथ की जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. इस सुदूर इलाके में बुनियादी सुविधाओं, खासकर सड़कों की कमी के कारण जोबला पथ तक पहुंचने के लिए कोई सड़क नहीं है। एकमात्र सहारा कच्ची कीचड़युक्त पगडंडी है, जिस पर पैदल चलना भी मुश्किल है।
आज एक मामला सामने आया जहां आदिम जनजाति की गर्भवती महिला गुड़िया देवी पति सुरेंद्र कोरबा को प्रसव पीड़ा होने पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चैनपुर ले जाना पड़ा, लेकिन गांव तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं होने के कारण 108 एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच पा रही थी.
इसके बाद गुमला में ग्राम स्वास्थ्य सहायिका ग्लोरिया लकड़ा, जीवंती कुमारी और टाटा फाउंडेशन की मानसी मिंस समेत अन्य की मदद से एंबुलेंस ब्रह्मपुर तक पहुंच सकी। गर्भवती महिला गुड़िया देवी के पति सुरेंद्र कोरबा ने गुड़िया देवी को अपनी पीठ पर लादकर नदी नालों को पार कर 2 किलोमीटर दूर ब्रह्मपुर पहुंचे, जिसके बाद एम्बुलेंस से उसे स्वास्थ्य केंद्र चैनपुर ले जाया गया.
यह घटना जबला पथ जैसे कई चतुर्वेदी आदिवासी इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं और बुनियादी ढांचे की कमी को उजागर करती है। यह घटना यही दर्शाती है सरकारी योजनाएं कागजों पर कितनी भी अच्छी क्यों न दिखें, जमीनी स्तर पर उनकी पहुंच और प्रभावशीलता सुनिश्चित करना आज भी एक बड़ी चुनौती है।
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