Sanatan Jagran Rath Yatra: विश्वामित्र सेना के राष्ट्रीय संयोजक राजकुमार चौबे ने आज पटना से सनातन रथ यात्रा को हरी झंडी दिखाकर पूरे राज्य में धर्म, संस्कृति और आध्यात्मिक चेतना के प्रचार-प्रसार की यात्रा शुरू की। प्रेस कॉन्फ्रेंस में श्री चौबे ने इसे बिहार के “आध्यात्मिक स्वाभिमान के पुनर्जागरण का शंखनाद” बताया. उन्होंने कहा कि आज हमारे ही देश में सनातन धर्म को सीमित और पुरातनपंथी कहकर उपेक्षित किया जा रहा है, जबकि यह हमारी आत्मा, पहचान और सभ्यता का आधार है।
उक्त अवसर पर श्री चौबे ने कहा कि बक्सर वही धरती है जहां भगवान श्री राम ने धर्म, अधर्म और युद्ध का पहला पाठ सीखा, ताड़का और मारीच जैसे राक्षसों का विनाश किया और अहिल्या को मुक्ति दिलाई. विश्वामित्र सेना ने प्रधानमंत्री को 10 सूत्रीय मांगपत्र सौंपा है, जिसमें बक्सर को “बिहार की आध्यात्मिक राजधानी” घोषित करने, पंचकोशी परिक्रमा के विकास और सनातन तीर्थों को संरक्षित करने की मांग की गई है।
राजकुमार चौबे ने सीतामढ़ी को “वैश्विक नारी आध्यात्मिक केंद्र”, देव के सूर्य मंदिर को “सूर्यधाम सर्किट”, गया जी को “अंतरराष्ट्रीय मोक्षधाम तीर्थ”, सुल्तानगंज को “कांवड़ सेवा केंद्र”, कैमूर के मुंडेश्वरी धाम को “राष्ट्रीय सांस्कृतिक स्मारक”, और वाल्मीकिनगर को “आध्यात्मिक-पर्यावरणीय हेरिटेज” के रूप में विकसित करने की मांग रखी।
उन्होंने साफ तौर पर कहा कि धार्मिक न्यास बोर्ड में न केवल प्रशासनिक नियुक्तियां होनी चाहिए, बल्कि आचार्यों, संतों और विद्वान ब्राह्मणों को भी प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए, ताकि सनातन धर्म के मूल स्वरूप को संरक्षित किया जा सके. वर्तमान में यह बोर्ड केवल औपचारिक संचालन तक ही सीमित है।
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राजकुमार चौबे ने कहा कि उनका संगठन न तो कोई राजनीतिक संगठन है, न ही किसी पार्टी की शाखा, बल्कि सनातन चेतना पर आधारित संगठन है. इसका उद्देश्य धर्म एवं संस्कृति की रक्षा करना, सामाजिक अन्याय का प्रतिकार करना, गरीबों की सेवा करना तथा युवाओं को सनातन जीवन शैली से जोड़ना है। उन्होंने कहा, ”अब बिहार फिर से आर्यावर्त की राजधानी बनेगा और सनातन रथ यात्रा इसका पहला चरण है.”