BIHAR: पटना,इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) ने मई2025 सत्र के लिए सीए इंटर, फ़ाइनल और फाउंडेशन परीक्षा के परिणाम घोषित कर दिए हैं । जहां राजन काबरा ने CA फ़ाइनल में टॉप किया है और निष्ठा बोथरा दूसरे स्थान पर रही हैं ,वहीं एक नाम फिर से चर्चाओं में आ गया है —राकेश झा, जिन्होंने 2024 में CA फ़ाइनल परीक्षा पास कर न सिर्फ़ बिहार बल्कि पूरे देश के युवाओं के लिए प्रेरणा की मिसाल क़ायम की थी।
बिहार के मधुबनी ज़िले से आने वाले राकेश झा का जीवन संघर्षों से भरा रहा
।आर्थिक तंगी के कारण कई बार पढ़ाई छोड़ने की नौबत आ गई थी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उनके पिता एक छोटे किसान हैं और परिवार की आमदनी बहुत सीमित है। राकेश के पास न तो महंगे कोचिंग की सुविधा थी न ही ऑनलाइन क्लास के लिए ज़रूरी स्मार्टफ़ोन या लैपटॉप । इसके बावजूद उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से CA जैसे कठिन परीक्षा पास की।
राकेश की सफलता में उनके दोस्तों की भूमिका भी बेहद अहम रही है। जब CA फ़ाइनल के रजिस्ट्रेशन और परीक्षा फ़ीस देने के लिए पैसे नहीं थे, तब उनके कॉलेज के कुछ दोस्तों ने मिलकर उनकी फ़ीस भरी । यही नहीं परीक्षा की तैयारी के दौरान किताबें,नोट्स और यहां तक कि रहने-खाने की व्यवस्था में भी दोस्तों ने मदद की। राकेस ख़ुद कहते हैं, “ अगर मेरे दोस्त न होते, तो शायद मैं ये सफ़र तय नहीं कर पाता।”
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राकेश ने अधिकतर पढ़ाई लाइब्रेरी और पुराने नोट्स से की। वे कहते हैं कि “संघर्ष ही सफलता की सबसे बड़ी कुंजी है”। उनका का मानना है कि किसी भी बड़े लक्ष्य को पाने के लिए संसाधनों से ज़्यादा ज़रूरी है संकल्प और सतत् प्रयास।
2024 में CA फ़ाइनल पास करने के बाद राकेश झा सोशल मीडिया और शिक्षा मंचों पर एक जाना-पहचाना नाम बन चुके हैं। कई संस्थाएं उन्हें मोटिवेशनल सेशन के लिए बुला रही हैं, जहां वे अपने संघर्ष की कहानी सुनाकर युवाओं को प्रेरित करते हैं। वे आज भी कहते हैं—“ मैंने कभी सपनों से समझौता नहीं किया बस हालात से लड़ना सिखा।”
राकेश जैसे होनहार विद्यार्थियों की सफलता यह बताती है कि अगर ग़रीब तबके छात्रों को सही संसाधन और मार्गदर्शन मिले, तो वे भी ऊंचाईयों को छू सकते हैं। राकेश ने सरकार और समाज से अपील की है कि ऐसे छात्रों को स्कॉलरशिप और मेंटरशिप जैसी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएं ताकि कोई भी प्रतिभा संसाधनों के अभाव में दम न तोड़े ।
राकेश झा की कहानी सिर्फ़ एक छात्र के परीक्षा पास करने की नहीं है, बल्कि यह कहानी है हौसले की, दोस्ती की, और एक सपने को साकार करने की। वो आज लाखों छात्रों के लिए एक उम्मीद की किरण बन चुके हैं। उनके संघर्ष और सफलता की यह गाथा आने वाली पीढ़ियों को यही सिखाती है कि—“ इच्छा हो अगर सच्ची, तो राह ख़ुद बन जाती है।”