Darbhanga News: केवटी प्रखंड मुख्यालय में लगे शिलापटों और बोर्डों से जानबूझकर मिथिला अक्षरों (तिरहुत लिपि) को हटाना मिथिला की पहचान पर सीधा हमला है। यह न केवल हमारी सांस्कृतिक पहचान को मिटाने का षडयंत्र है, बल्कि यह संवैधानिक अधिकारों का भी घोर उल्लंघन है. मिथिला स्टूडेंट यूनियन (MSU) इस कृत्य की कड़ी निंदा करती है और मांग करती है कि इसके स्थान पर मिथिला अक्षर को तुरंत बहाल किया जाए.
एमएसयू के प्रदेश संयोजक प्रवीण झा ने कहा कि मिथिला के शैक्षणिक, सांस्कृतिक एवं प्रशासनिक संस्थानों पर मिथिला वर्णमाला का प्रयोग हमारी ऐतिहासिक विरासत को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी है. यह किसी विशेष भाषा या लिपि का विरोध नहीं है, बल्कि हमारी संस्कृति के संरक्षण की मांग है।
अगर 7 दिनों के अंदर मिथिलाक्षर को बहाल नहीं किया गया तो मिथिला स्टूडेंट यूनियन के नेतृत्व में जिला मुख्यालय से लेकर राजधानी तक व्यापक आंदोलन चलाया जायेगा. यह लड़ाई केवटी प्रखंड से शुरू होकर पूरे मिथिला में फैलेगी. प्रवीण झा ने स्पष्ट किया कि यह सिर्फ प्रतीकों की लड़ाई नहीं है, बल्कि अपनी अस्मिता, भाषा और अस्मिता को फिर से स्थापित करने की चेतावनी है. इस लड़ाई में बड़ी संख्या में मिथिला के छात्र, बुद्धिजीवी, कलाकार, सामाजिक कार्यकर्ता और आम लोग शामिल होंगे.
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