Jharkhand News: खबर झारखंड से हैं जहां पूर्व अंचल अधिकारी शशिभूषण सिंह ने हज़ारीबाग़ के कटकमदाग अंचल अधिकारी के पद पर रहते हुए अंबा प्रसाद के परिवार वालों को ज़मीन पर कब्ज़ा करने में मदद की थी. छापेमारी के दौरान उसके ठिकाने से बंद हो चुके नोट बरामद हुए थे. ईडी ने जमीन हड़पने के मामले में शशिभूषण सिंह की पहचान अंबा प्रसाद के परिजनों के मददगार के रूप में की है. अंबा प्रसाद हज़ारीबाग़ के बड़कागांव से विधायक रह चुकी हैं. उनके पिता योगेन्द्र साव भी बड़कागांव से विधायक और सरकार में मंत्री रह चुके हैं. अंबा प्रसाद फिलहाल कांग्रेस पार्टी की पश्चिम बंगाल की सह प्रभारी हैं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अंबा प्रसाद मामले की जांच के दौरान ईडी ने सर्किल ऑफिसर शिशिभूषण सिंह के ठिकानों पर छापेमारी की थी. छापेमारी के दौरान उसके ठिकाने से 2000 रुपये के 199 नोट (कुल 3.98 लाख रुपये) मिले. केंद्र सरकार ने 19 मई 2023 को 2000 रुपये के नोटों का चलन बंद करने का फैसला किया था. साथ ही इसे बैंकों में जमा करने के लिए अक्टूबर 2023 तक का समय दिया गया था. लेकिन मार्च 2024 में की गई छापेमारी के दौरान उसके ठिकाने से पुराने नोट मिले.
ईडी को जांच में पता चला है कि अंबा प्रसाद के परिवार वालों ने हजारीबाग में काफी जमीन पर कब्जा कर रखा है. जांच के दौरान पता चला कि हजारीबाग जिले के कटकमदाग और सदर अंचल में कार्यरत रहने के दौरान अंचलाधिकारी शिशिभूषण ने अंबा प्रसाद के परिजनों को जमीन पर कब्जा दिलाने में मदद की थी. कटकमदाग अंचल में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने जमीन के एक टुकड़े पर कब्जा करने के उद्देश्य से अंबा प्रसाद के परिवार को निर्माण में मदद की।
Also Read: Bihar News: तेजस्वी- साथ यात्रा करेंगे राहुल, बिहार के सभी प्रमंडलों में करेंगे रैलियां…
ईडी ने जांच में पाया है कि अंबा प्रसाद के परिवार वालों ने सिंडिकेट की मदद से जमीन पर कब्जा कर लिया है. इस सिंडिकेट की मदद से हज़ारीबाग़ में काफ़ी ज़मीन पर कब्ज़ा कर लिया गया है. जमीन पर कब्जा करने के दौरान टाइगर ग्रुप की भी मदद ली गई। अंबा प्रसाद के परिवार वालों ने अवैध तरीके से करोड़ों रुपये कमाए हैं. इसे विभिन्न व्यावसायिक संस्थाओं में भी निवेश किया गया है।
जांच में पता चला है कि योगेन्द्र साव ने अपने करीबी रिश्तेदार राजेश कुमार को 2.96 करोड़ रुपये दिये थे. इस रकम से मां अष्टभुजी कंस्ट्रक्शन नामक कंपनी बनाई गई। इस कंपनी का गठन 2011 में हुआ था. उस वक्त योगेन्द्र साव झारखंड सरकार में मंत्री थे. इस कंपनी में योगेन्द्र साव द्वारा किये गये निवेश की जांच चल रही है.