Ranchi: झारखंड सरकार अब उन गांवों और पंचायतों पर विशेष ध्यान दे रही है जो रोजगार की तलाश में पलायन का दंश झेल रहे हैं। कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग ने ऐसे गांवों में योजनाओं की सौगात देने का निर्णय लिया है। इसके तहत अब कृषि मेले और पशु स्वास्थ्य शिविर जैसे कार्यक्रम प्रखंड मुख्यालयों के बजाय सीधे पंचायतों और गांवों में आयोजित किए जाएंगे।
रांची के हेसाग स्थित पशुपालन निदेशालय में विभागीय मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की की अध्यक्षता में हुई मैराथन समीक्षा बैठक में यह अहम फैसला लिया गया। बैठक के दौरान वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए विभाग का ब्ल्यू प्रिंट तैयार किया गया, जिसमें योजनाओं को तय समयसीमा में धरातल पर उतारने का संकल्प लिया गया।
मंत्री तिर्की ने निर्देश दिया कि राज्य के प्रत्येक जिले से 30 गांवों को चिह्नित किया जाए, जहां पलायन की समस्या अधिक है। इन गांवों को प्राथमिकता देते हुए बीज, पशु वितरण जैसी योजनाएं लागू की जाएंगी। साथ ही अनुसूचित जाति एवं जनजाति समाज को भी योजनाओं में प्राथमिकता दी जाएगी।
इस वित्तीय वर्ष में विभाग ने कुल 83 योजनाएं चलाई हैं, जिनमें 58 राज्य प्रायोजित और 25 केंद्र प्रायोजित योजनाएं शामिल हैं। मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि लंबित पशु वितरण कार्यों को जून 2025 तक हर हाल में पूरा कर लिया जाए।
इसके अलावा शूकर पालन को बढ़ावा देने और पलामू में भेड़ वितरण योजना को प्रमोट करने की रणनीति भी बनाई गई है। किसान समृद्धि योजना के तहत सौर ऊर्जा से संचालित पंपों का वितरण तेज किया जाएगा।
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राज्य में बनकर तैयार 20 कोल्ड स्टोरेज के संचालन की समय सीमा अगले 6 माह तय की गई है। मंत्री ने स्पष्ट कहा कि संचालन में आ रही अड़चनों को अधिकारी शीघ्र दूर करें। वहीं, तालाब जीर्णोद्धार में पिछड़ रहे जिलों की रिपोर्ट को भी गंभीरता से लिया गया है और संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया जाएगा।
बैठक में ‘वन डिस्ट्रिक्ट – वन प्रोडक्ट’ योजना पर भी चर्चा हुई और अधिकारियों से फीडबैक लिया गया। मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि सरकार का उद्देश्य है कि पलायन की जगह अब स्थानीय स्तर पर रोजगार और संसाधन उपलब्ध कराए जाएं, ताकि गांव मजबूत हों और किसान समृद्धि की ओर बढ़ सकें।