Darbhanga: मिथिला विश्वविद्यालय में छात्रों की विभिन्न शैक्षणिक और प्रशासनिक समस्याओं को लेकर मिथिला स्टूडेंट यूनियन के तत्वावधान में एक विशेष “छात्र अदालत” का आयोजन किया गया। इस पहल का नेतृत्व विश्वविद्यालय अध्यक्ष अनिश चौधरी ने किया, जिन्होंने कहा, “चुप बैठने का समय नहीं है। जब तक छात्रों को न्याय नहीं मिलेगा, तब तक यह छात्र अदालत चलता रहेगा।”
इस छात्र अदालत में विश्वविद्यालय संयोजक अमन सक्सेना, महासचिव आदर्श मिश्र, सचिव शिवम प्रताप सिंह सहित कई छात्र नेता उपस्थित रहे। अदालत में विभिन्न कॉलेजों से आए सैकड़ों छात्रों ने अपनी समस्याएं खुलकर रखीं और विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाए।
छात्रों ने लगाए गंभीर आरोप
छात्रों ने आरोप लगाया कि परीक्षा में सम्मिलित होने के बावजूद कई बार उनके परिणाम में उन्हें “एब्सेंट” दिखा दिया जाता है। वहीं, कुछ छात्रों ने कहा कि परीक्षा में उपस्थित न होने के बावजूद कुछ छात्रों को पास कर दिया गया। जिन छात्रों ने मेहनत से परीक्षा दी, उन्हें कम अंक देकर फेल कर दिया गया।
जे.एन. कॉलेज, नेहरा की एक छात्रा ने कहा कि विश्वविद्यालय परिसर में दलालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ये दलाल छात्रों से संपर्क कर कहते हैं कि पाँच हजार रुपए देने पर फेल रिजल्ट को पास में बदलवा देंगे। जब छात्र इस संबंध में परीक्षा नियंत्रण कार्यालय जाते हैं, तो उन्हें वहाँ से बाहर निकाल दिया जाता है। इन दलालों का दावा है कि वे विश्वविद्यालय पदाधिकारियों के रिश्तेदार हैं, जिससे छात्र भ्रमित हो जाते हैं।
प्रशासनिक अनदेखी और पारदर्शिता की मांग
छात्रों ने बताया कि जब वे अपनी समस्याओं को लेकर विश्वविद्यालय अधिकारियों से मिलने जाते हैं, तो अक्सर वे अपने चेंबर में अनुपस्थित रहते हैं। इससे छात्रों को दलालों की बातों में फँसने के अलावा कोई रास्ता नहीं दिखता। यूनियन ने मांग की है कि विश्वविद्यालय प्रशासन परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करे, गलत परिणामों की तुरंत जांच कराए और दोषी अधिकारियों एवं दलालों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।
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छात्र अदालत बनी आवाज उठाने का मंच
इस पहल में संदीप सिंह, पिंटू यादव, अभिषेक झा (संगठन मंत्री), शुभम कुमार, शिवम कुमार, इंदजीत कुमार, मेघा कुमारी, आरती कुमारी, सद्दाप प्रिविन, आमला खातून समेत कई छात्र-छात्राएं शामिल हुए और अपने-अपने कॉलेज से जुड़ी समस्याओं को सामने रखा।
मिथिला स्टूडेंट यूनियन ने घोषणा की है कि यह छात्र अदालत अब एक नियमित प्रक्रिया के रूप में जारी रहेगी, जिससे छात्रों को अपनी आवाज़ बुलंद करने और न्याय प्राप्त करने का एक सशक्त मंच मिल सके।