Mithila Vikas Board : मिथिला विकास बोर्ड की मांग को लेकर मिथिला वादी पार्टी द्वारा आहूत पद यात्रा आज 15वें दिन हनुमान नगर पहुंची. यह यात्रा नैयाम छतौना, पटोरी, गोढ़वारा, मोरो सहित विभिन्न गांवों में पहुंची। मिथिलावादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अविनाश भारद्वाज के नेतृत्व में यह यात्रा विभिन्न गांवों और मुहल्लों तक पहुंच रही है।सभा को संबोधित करते हुए पार्टी नेता गोपाल चौधरी ने कहा, मिथिला के जिलों की स्थिति का तुलनात्मक विश्लेषण करें तो स्थिति स्पष्ट रूप से सामने आ जायेगी. औसत साक्षरता दर केवल 37.5 प्रतिशत है।
मिथिला के 20 जिलों में गरीबी-भुखमरी-कुपोषण-बेरोजगारी-पलायन-उद्योगों और मिलों का बंद होना, शिक्षा-स्वास्थ्य-संचार सुविधाओं का अभाव, कृषि-यातायात-मानव विकास-निम्न जीवन स्तर, यह सब एक स्वतंत्र बोर्ड या परिषद की आवश्यकता का एहसास कराता है जो केवल मिथिला के विकास पर काम करेगा। यदि केंद्र कोई सहायता या विशेष पैकेज भेजता है तो उसे इस बोर्ड को काम करने के लिए देना चाहिए, न कि राज्य सरकार को इसे कहीं और खर्च करना चाहिए.
बच्चों की शिक्षा के अधिकार और युवाओं के रोजगार के उद्योगों को खत्म करने का काम किया गया है। यह सरकार शिक्षा नीति के मामले में पूरी तरह विफल रही है, रोजगार सृजन के लिए सरकार ने कोई कारगर कदम नहीं उठाया है. बिहार सरकार की शिक्षा व्यवस्था चौपट है, केंद्र और राज्य की शिक्षा नीति युवाओं को अंधकार में धकेलने का काम कर रही है, बिहार सरकार मैथिली भाषा को लेकर गंभीर नहीं है बल्कि इसे नष्ट करने की साजिश कर रही है.
न सुव्यवस्थित केंद्रीय विश्वविद्यालय या केंद्रीय अस्पताल, न बुनियादी ढांचा, न रोजगार, न भारी उद्योग, न खाद्य-डेयरी-मत्स्य-कृषि आधारित उद्योग, न तकनीकी उद्योग। खेती बंद हो रही है, लोग पलायन कर रहे हैं, न कला-संस्कृति-भाषा बढ़ सकी, न पर्यटन. यदि महाराष्ट्र में मराठवाड़ा, विदर्भ और गोरखालैंड, हैदराबाद, मिजोरम आदि स्थानों में पिछड़े जिलों के लिए स्वायत्त विकास निकाय का गठन किया जा सकता है तो मिथिला को उसका अधिकार क्यों नहीं दिया जा रहा है?मिथिला के लिए अलग विकास बोर्ड एक ऐसा विचार है, जो मेरे अनुसार मिथिला की वर्तमान राजनीतिक-आर्थिक-वास्तविक और वैश्विक स्थिति और जरूरतों पर बिल्कुल फिट बैठता है। हाल ही में राष्ट्रपति ने हैदराबाद-कर्नाटक के 6 पिछड़े जिलों के लिए विकास बोर्ड के गठन को मंजूरी दे दी है।
गोरखालैंड प्रादेशिक प्रशासन भी इसी प्रकार के कार्य करता है। महाराष्ट्र ने विदर्भ, मराठवाड़ा और शेष महाराष्ट्र नामक तीन विकास बोर्डों को भी मंजूरी दी है, जो अपने संबंधित क्षेत्रों की विकास आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्वतंत्र रूप से या राज्य के साथ समन्वय में काम करते हैं। इस यात्रा में राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अविनाश भारद्वाज , विद्या भूषण राय , सुमित माउबहेटिया , राजेश मंडल , ऋषि रोही , मुलायम यादव , अभिषेक यादव , केशव चौधरी , मुखिया पति नारायण जी चौधरी, पंचायत समिति अभय चौधरी, कन्हाई चौधरी ,रमेश चौधरी, सुरेंद्र नारायण चौधरी , अरुण चौधरी, प्रेम जी , कृष्णा ठाकुर, दीपक चौधरी, डॉक्टर वरुण ,मुन्ना चौधरी , शिक्षक संतोष यादव , शिवम उपस्थित थे।