Darbhanga: सी.एम. कॉलेज, दरभंगा में रविवार को अमर शहीद जुब्बा सहनी शोध एवं सेवा संस्थान के संस्थापक निदेशक, लंदन में ताम्रपत्र से सम्मानित एवं 18 पुस्तकों के लेखक प्रो. हरिश्चन्द्र सहनी की तीसरी पुण्यतिथि पर एक भव्य श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में कई गणमान्य अतिथियों एवं बुद्धिजीवियों ने भाग लिया और दिवंगत प्रो. सहनी को श्रद्धासुमन अर्पित किए।
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित भारत सरकार के केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री डॉ. राज भूषण चौधरी निषाद ने कहा कि यदि समाज शिक्षित नहीं होगा, तो अनेक समस्याएं उत्पन्न होंगी। प्रो. सहनी ने शिक्षा के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन का जो अलख जगाया, वह अत्यंत सराहनीय है। आज भी निषाद समाज सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा है, जिसे दूर करने हेतु सरकार प्रयासरत है।
बिहार सरकार के भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री संजय सरावगी ने प्रो. सहनी को महामानव की संज्ञा देते हुए कहा कि वे गरीबों, दलितों एवं वंचितों की बुलंद आवाज और प्रेरणा स्रोत थे। उन्होंने हमेशा समाज के अंतिम पायदान पर खड़े लोगों के उत्थान के लिए काम किया और समाज को नई दिशा दी।
पिछड़ा एवं अति पिछड़ा कल्याण मंत्री हरि सहनी ने प्रो. सहनी को एक बड़े समाज सुधारक बताते हुए कहा कि वे न केवल शिक्षा प्रेमी थे, बल्कि समाज के सच्चे मार्गदर्शक भी थे। उन्होंने कहा कि सामाजिक संगठनों की भूमिका जनकल्याण में अहम होती है और प्रो. सहनी ने इसका उदाहरण प्रस्तुत किया।
सभा की अध्यक्षता करते हुए प्रो. सहनी के बड़े पुत्र एवं संस्थान के निदेशक कृष्ण कुमार सत्यवादी उर्फ पप्पू सहनी ने कहा कि दलित साहित्य समाज का वास्तविक दर्पण है, जो भेदभावों से ऊपर उठकर संवेदनाओं की अभिव्यक्ति करता है। उन्होंने बताया कि संस्थान द्वारा प्रो. सहनी के आदर्शों को आगे बढ़ाया जा रहा है।
इस अवसर पर प्रो. सहनी द्वारा लिखित अंतिम पुस्तक “अंधविश्वास एवं दलित शोषण” का विमोचन भी किया गया। साथ ही शिक्षा व सेवा क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 21 लोगों को प्रशस्ति पत्र एवं उपहार देकर सम्मानित किया गया। निषाद समाज के विभिन्न पदों पर कार्यरत 21 व्यक्तियों को भी सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में गरीब तबके के 101 बच्चों को शिक्षा सामग्री वितरित की गई। सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत नव्या कुमारी ने मैथिली गीत पर नृत्य प्रस्तुत किया, जबकि सनोज शर्मा द्वारा निर्देशित शिक्षा जागरूकता पर आधारित एकांकी नाटक ‘यौ डॉ साहब अब हम की करब’ का मंचन किया गया।
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कार्यक्रम का संचालन संस्कृत प्राध्यापक डॉ. आर.एन. चौरसिया ने किया। अतिथियों का स्वागत प्रो. सहनी के छोटे पुत्र डॉ. प्रेम कुमार निषाद ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन समाजसेवी रमण कुमार झा ने किया। इस मौके पर सुजीत राम ने स्वागत गान भी प्रस्तुत किया।
यह श्रद्धांजलि सभा न केवल दिवंगत प्रो. हरिश्चन्द्र सहनी को स्मरण करने का अवसर था, बल्कि उनके विचारों व योगदान को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का एक सार्थक प्रयास भी सिद्ध हुआ।