Madhubani News : मधुबनी जिले के लदनियां प्रखंड क्षेत्र में कुकुरमुत्ता की तरह उगे प्राइवेट स्कूल के संचालकों के द्वारा फ्री एडमिशन के बहाने आर्थिक बोझ लादा जा रहा है। बता दें कि लदनियां प्रखंड क्षेत्र में बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित इन दिनों प्राइवेट स्कूल के संचालकों के द्वारा फ्री एडमिशन के बहाने बच्चों के अभिवावकों एवं स्वजनों को आकर्षित करने की कोशिश की जा रही है।
इसके लिए एक दर्जन से अधिक निजी विद्यालयों द्वारा प्रचार वाहनों का सहयोग लिया गया है तथा बाजार व चौक चौराहों पर होल्डिंग तैनात किये गये हैं. आकर्षक होल्डिंग और प्रचार वाहन की लोकलुभावन बातें भले ही लोगों को आकर्षित और लुभा रही हों.लेकिन एडमिशन लेने वाले बच्चों के परिजनों पर किताब, ड्रेस और खेल के नाम पर आर्थिक बोझ डाला जाता है. फिर सालों तक मोटी रकम वसूली जाती है.इस शोषण के बावजूद सरकारी स्कूलों में समुचित शिक्षा व्यवस्था नहीं होने के कारण बच्चों को बेहतर शिक्षा के लिए निजी स्कूलों में भेजकर आर्थिक बोझ उठाना पड़ रहा है. प्राइवेट स्कूल में एडमिशन के बाद यह खेल और भी बढ़ जाता है।
जहां सरकारी स्कूलों में एनसीईआरटी की किताब बाजार में 100 रुपये में मिलती है. वहीं निजी स्कूलों में बच्चों के लिए कई प्रकाशनों की किताबें 800 से 1000 रुपये में मिल जाती हैं. ज्यादातर निजी स्कूलों में बच्चों को लाने-ले जाने के लिए बस, टेंपो, ई-रिक्शा और अन्य वाहनों की व्यवस्था होती है.
एक ओर जहां किराये के नाम पर मोटी रकम वसूली जाती है, वहीं दूसरी ओर बच्चों को भेड़-बकरी की तरह स्कूल लाया और भेजा जाता है. कुछ विद्यालयों में बीमार वाहन के प्रयोग से दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।प्रखंड क्षेत्र में स्थापित विभिन्न पुस्तक दुकानदारों में से कुछ ने बताया कि निजी स्कूलों की किताबों की कीमतों में 15 से 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि सरकारी स्कूलों की किताबों की कीमतों में केवल 5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
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पुस्तक सूची एवं दुकान का नामांकन निजी विद्यालयों के संचालकों द्वारा किया जाता है, जहां से उन्हें कमीशन मिलता है, सरकारी विद्यालयों में यह व्यवस्था नहीं है. अभिभावकों का कहना है कि निजी स्कूलों में किताबें व ड्रेस संचालकों द्वारा स्वयं उपलब्ध कराने की व्यवस्था है. जबकि सरकारी स्कूलों में सरकार द्वारा बच्चों के खाते में दी जाने वाली राशि से ही अभिभावकों द्वारा ड्रेस की खरीदारी की जाती है. सरकारी स्कूल की किताबें 500 से 1000 रुपये में मिलती हैं, जबकि निजी स्कूलों में संचालक 2500 से 7500 रुपये में उपलब्ध कराते हैं।
सुमित कुमार राउत