One Nation One Election : मोदी सरकार ने वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर इरादा जाहिर कर दिया है…संसद के इसी सत्र मे बिल लाने की तैयारी है…लेकिन उससे पहले देश में माहौल बनाया जाने लगा है…झारखंड और बिहार में भी BJP के तमाम दिग्गज नेता वन नेशन वन इलेक्शन (One Nation One Election) की वकालत करने लगे हैं…बाबूलाल मरांडी और रविन्द्र राय ने कहा कि ये देश की ज़रूरत है…वहीं महागठबंधन ने अब तक अपना रूख जाहिर नहीं किया है…लेकिन तय है कि अब ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ पर भी राजनीति जमकर होने वाली है…

वन नेशन वन इलेक्शन क्या हैं ? | What is One Nation One Election?

“वन नेशन, वन इलेक्शन” जिसका उद्देश्य भारत में सभी चुनावों (लोकसभा और विधानसभा चुनाव) को एक ही समय पर आयोजित करना है। इस प्रस्ताव का मुख्य विचार यह है कि भारत में केंद्र और राज्य सरकारों के चुनावों को एक साथ कराया जाए, ताकि चुनावी प्रक्रिया को सरल, सस्ता और प्रभावी बनाया जा सके।

“वन नेशन, वन इलेक्शन” के लाभ | Benefits of “One Nation, One Election”

  1. वित्तीय बचत: चुनावों की प्रक्रिया महंगी होती है, और अलग-अलग समय पर चुनाव होने से सरकार को बार-बार चुनाव खर्च उठाना पड़ता है। अगर सभी चुनाव एक साथ होंगे, तो इसमें काफी पैसे की बचत हो सकती है।
  2. प्रशासनिक सुविधा: चुनावों के समय सरकारी मशीनरी पूरी तरह चुनावों में लग जाती है, जिससे सरकारी कामकाज प्रभावित होता है। एक साथ चुनाव होने से यह समस्या कम हो सकती है।
  3. राजनीतिक स्थिरता: एक साथ चुनाव होने से राजनीतिक अस्थिरता कम हो सकती है, क्योंकि कई राज्यों और केंद्र में एक ही समय पर चुनाव होने से ज्यादा बिखराव नहीं होगा।
  4. चुनाव प्रक्रिया में सुधार: वन नेशन, वन इलेक्शन व्यवस्था चुनावों को ज्यादा व्यवस्थित और प्रभावी बनाने में मदद कर सकती है।

“वन नेशन, वन इलेक्शन” के चुनौतियाँ | Challenges of “One Nation, One Election”

  1. संविधानिक संशोधन की आवश्यकता: वन नेशन, वन इलेक्शन को लागू करने के लिए संविधान में बदलाव की आवश्यकता होगी, क्योंकि अब लोकसभा और विधानसभा के चुनावों के लिए अलग-अलग समय तय हैं।
  2. राज्य के अधिकारों का सवाल: कुछ राज्यों का कहना है कि उनका अधिकार है कि वे अपने चुनावों का समय तय करें, और एक साथ चुनावों से उनके अधिकारों में हस्तक्षेप हो सकता है।
  3. लोकतांत्रिक प्रक्रिया में रुकावट: यदि किसी राज्य में सरकार अस्थिर हो जाती है या चुनावी समय के दौरान कोई विशेष मुद्दा उठता है, तो चुनावों के समय में बदलाव हो सकता है, जो समस्या उत्पन्न कर सकता है।

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