Samastipur News : विवादित जमीन पर जबरन पेट्रोल पंप बनाने को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. पीड़ित मनोज अग्रवाल का आरोप है कि प्रभावशाली लोगों के दबाव के कारण प्रशासन और पुलिस निष्क्रिय बनी हुई है, जिसके कारण अवैध निर्माण तेजी से जारी है. पीड़ित ने बताया कि उसने जूली कुमारी से जितवारपुर चौथ में एक जमीन खरीदी थी, जिसकी रजिस्ट्री भी विधिवत करायी गयी थी. लेकिन बाद में पता चला कि जूली कुमारी के पिता ने पहले ही यह जमीन एक पेट्रोल पंप संचालक को लीज पर दे दी थी.इसके अलावा उन्होंने यह जमीन अपनी बहू के नाम भी करा ली, जो लीज के नियमों के खिलाफ है. जब इस अनियमितता की जानकारी मिली तो पीड़ित ने स्थानीय थाने, इंडियन ऑयल और जिले के वरीय अधिकारियों को आवेदन दिया. पुलिस प्रशासन से निष्पक्ष जांच व कार्रवाई की मांग की गयी.
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लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. पीड़ित मनोज अग्रवाल ने बताया कि जब वह मुफस्सिल थाने गये तो म्यूटेशन नहीं होने का हवाला देकर थाना प्रभारी ने कार्रवाई करने से इंकार कर दिया. इसके बाद मामला पुलिस अधीक्षक तक पहुंचा, जिन्होंने थाना प्रभारी को जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया. करीब दो माह तक विभिन्न प्रशासनिक कार्यालयों का चक्कर लगाने के बाद आखिरकार अनुमंडल पदाधिकारी ने मामले को गंभीरता से लिया और जांच का आदेश दिया. इसके बाद पुलिस को रिपोर्ट करने के निर्देश दिए गए और धारा 144 (बाद में बदलकर 163) लागू कर दी गई.
लेकिन थाना प्रभारी व केस प्रभारी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. पीड़ित का कहना है कि पुलिस प्रशासन ने सिर्फ औपचारिकता निभाई और पेट्रोल पंप का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. इस मामले में अनुमंडल पदाधिकारी ने अंचलाधिकारी से रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन अब तक रिपोर्ट नहीं सौंपी गयी है.जब पीड़ित जोनल कार्यालय गए तो उन्हें सिर्फ आश्वासन दिया गया कि ‘रिपोर्ट तैयार हो रही है, जल्द ही भेज दी जाएगी.’ लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गयी.
पीड़ित ने बताया कि पेट्रोल पंप का निर्माण करा रहे लोग काफी प्रभावशाली हैं और स्थानीय दबंगों की मदद ले रहे हैं. बाजार में कुछ लोगों ने उसे धमकी देते हुए कहा, ”अगर तुम इसी मामले में लगे रहोगे तो जान से हाथ धो बैठोगे.” बेहतर होगा कि पीछे हट जाओ।”पीड़ित पहले से ही हृदय रोगी हैं और उनकी ओपन हार्ट सर्जरी हो चुकी है। बावजूद इसके, किसी भी प्रशासनिक अधिकारी ने उनकी सुरक्षा को लेकर कोई कदम नहीं उठाया। पीड़ित ने कई बार जनता दरबार में अपनी शिकायत रखी, लेकिन हर बार विपक्षी पक्ष अनुपस्थित रहा और प्रशासन ने इस पर कोई कड़ा निर्णय नहीं लिया। इस पूरे मामले में अनुमंडल पदाधिकारी को छोड़कर किसी भी अधिकारी ने गंभीरता नहीं दिखाई। थाना प्रभारी, अंचल अधिकारी और अन्य प्रशासनिक अधिकारी मामले को टालते रहे। पेट्रोल पंप निर्माण कार्य आज भी जारी है, जिससे पीड़ित न्याय के लिए दर-दर भटक रहा है। पीड़ित ने कहा कि उन्होंने कानून के तहत हर संभव प्रयास किए, लेकिन जब किसी भी स्तर पर सुनवाई नहीं हुई, तो मजबूरन उन्हें मीडिया का सहारा लेना पड़ा। अब सवाल उठता है कि क्या प्रशासन प्रभावशाली लोगों के दबाव में आकर आम नागरिकों के अधिकारों की अनदेखी कर रहा है? क्या पीड़ित को न्याय मिलेगा या फिर सत्ता और पैसे के प्रभाव में यह मामला भी दबा दिया जाएगा?