Mithila News : मिथिलावादी कार्यालय से मिथिला (Mithila) विरोधी सीएम के आगमन पर मीडिया से बात करते हुए मिथिलावादी नेता विद्या भूषण राय , जिप सदस्य सागर नवदिया , गोपाल चौधरी ने प्रहार करते हुए कहा कि मिथिलावादी लोगों ने मिथिला विरोधी सीएम को आइना दिखाया। वर्षो-वर्ष से मिथिला में बन्द पड़े उद्योग धंधा पर इनकी कोई उद्योग – धंधा से सम्बंधित कोई नीति नही है। शिक्षा व्यवस्था इनकी माफिया के अंतर्गत है । शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। मिथिला के प्रति नियति दोहरी एवं मिथिला विरोधी है। जनाधारविहीन चापलूस नेताओं की मंडली के साथ मौज मश्ती के सिवा इस यात्रा का कोई उद्देश्य नही है। हकीकत में तो अब सीएम नीतीश कुमार को राजनीति छोड़कर वनवास यात्रा की शुरुआत करनी चाहिए।
सीएम नीतीश के शासनकाल में एक भी कल कारखाना नहीं
मिथिला (Mithila) के लोगों का दर्द यही है कि नीतीश के शासनकाल में एक भी कल कारखाना नहीं लगा है। जो था, वह भी बदहाली की अवस्था में पहुंच गया। मिथिला के लोगों का सबसे बडा दर्द यही है कि नीतीश कुमार मिथिला संबंधित किसी मुद्दे को समय पर पूरा होने दे ही नहीं सकते। कैसे भी करके काम को लटकाएंगे ही। एम्स को 6 साल तक अटका के रखा है। मिथिला के किसी भी गांव का दौरा कर लीजिए, अधिकतर लोग नीतीश कुमार को केवल मगध का नेता ही मानते हैं। बिहार की राजधानी पटना में करोडो की लागत से सभ्यता द्वार बनाया गया। स्वयं को ऐतिहासिक साबित करने की कोशिश हुई, लेकिन करोडों की लागात से एक भी कारखाना मिथिला में नहीं लगाया, जिससे कम से कम हजारों लोगों को रोजगार मिलता। सच तो यह है कि कोरोना काल में भी जो मखाना के लिए विशेष पैकेज की घोषणा हुई, वह केंद्र सरकार ने की।
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मिथिला की उपेक्षा की है।
क्या नीतीश कुमार जवाब दे सकते हैं कि इन 15 वर्षों में मैथिली भाषा की पढ़ाई बिहार के स्कूली पाठ्यक्रम से क्यों बाहर रखी गई है। इस अवधि में मैथिली विषय के एक भी शिक्षक की नियुक्ति और मैथिली भाषा की पढ़ाई और पुस्तकों की छपाई क्यों बंद है ? नीतीश के 15 वर्षों में मिथिला के सकरी, लोहट और रैयाम चीनी मिलों को चालू करने के लिए कोई कारगर कदम सरकार ने क्यों नही उठाये तथा पंडौल स्थित सूत मिल क्यों बंद पड़ा है ? नीतीश सरकार ने मिथिला और मैथिली के साथ हमेशा सौतेला व्यवहार किया है।
मिथिला विरोधी सरकार
मिथिला विरोधी नीतीश सरकार ने वर्षो से मिथिला के गाँवो की संपन्नता को छिनने का काम किया है। किसानों के स्टेट बोर्डिंग, बच्चों के शिक्षा का अधिकार, युवाओ के रोजगार हेतु उद्योग-धंधा को नष्ट करने का काम किया है। यह सरकार पूर्णतः शिक्षा नीति से विफल सरकार है, रोजगार सृजन हेतु सरकार का कोई कारगर कदम नही है। बिहार सरकार की शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त , केंद्र और राज्य की शिक्षा नीति नौजवान को अंधकार में धकेलने का प्रयास किया है।