Palamu: झारखंड पुलिस के लिए सिरदर्द बना कुख्यात गैंगस्टर अमन साहू पुलिस एनकाउंटर में मारा गया। पुलिस के अनुसार, अमन को पूछताछ के लिए रायपुर से रांची लाया जा रहा था, तभी पलामू में पुलिस की गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस हादसे के बाद अमन पुलिस का हथियार छीनकर भागने लगा और पुलिस पर फायरिंग कर दी। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने उसे ढेर कर दिया।
अमन साहू के एनकाउंटर की घटना उत्तर प्रदेश के कुख्यात अपराधी विकास दुबे की मुठभेड़ से मिलती-जुलती प्रतीत हो रही है। विकास दुबे के एनकाउंटर के दौरान भी ऐसा ही हुआ था जब वह पुलिस हिरासत से भागने की कोशिश कर रहा था।
पुलिस को पहले से थी आशंका
झारखंड पुलिस को पहले ही अंदेशा था कि अमन साहू को लाने के दौरान कोई अनहोनी हो सकती है। इसलिए पुलिस ने एटीएस के डीएसपी और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रमोद कुमार सिंह उर्फ पीके को इस ऑपरेशन की जिम्मेदारी सौंपी थी। प्रमोद कुमार सिंह इससे पहले भी कई अपराधियों और नक्सलियों के खिलाफ सफल अभियानों को अंजाम दे चुके हैं।
कौन था अमन साहू?
अमन साहू झारखंड के रांची जिले के मतबे गांव का रहने वाला था। उसने 12वीं की पढ़ाई के बाद डिप्लोमा किया और एक मोबाइल दुकान खोली। लेकिन अपराधियों के संपर्क में आने के बाद उसने अपराध की दुनिया में कदम रख दिया। 2013 में उसने अपना खुद का गैंग बना लिया और व्यापारियों व बिल्डर्स से उगाही करने लगा। अमन साहू के खिलाफ झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में 125 से अधिक मामले दर्ज थे। 2019 में वह पहली बार गिरफ्तार हुआ था, लेकिन कुछ महीनों बाद फरार हो गया। 2022 में उसे दोबारा गिरफ्तार किया गया और झारखंड की जेल में रखा गया।
जेल से भी चला रहा था गैंग
गिरफ्तारी के बावजूद, अमन साहू ने जेल के अंदर से ही अपना गैंग ऑपरेट करना जारी रखा। अपराध की दुनिया में उसकी सक्रियता को देखते हुए 14 अक्टूबर 2024 को उसे छत्तीसगढ़ की रायपुर सेंट्रल जेल भेजा गया। हालांकि, वहां भी वह अपराध की साजिशें रचता रहा।
बीजेपी ने उठाए सवाल
अमन साहू के एनकाउंटर को लेकर विपक्षी दल बीजेपी ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने इसे एक सुनियोजित रणनीति बताया और जांच की मांग की। हालांकि, पुलिस का दावा है कि एनकाउंटर पूरी तरह से आत्मरक्षा में किया गया है। झारखंड पुलिस ने स्पष्ट किया है कि राज्य में अपराध और माफियागीरी को खत्म करने के लिए उनकी कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी।