गुमला: इतिहास, संस्कृति और पर्यटन
Gumla झारखंड का एक प्रमुख जिला है, जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। इसकी पहचान न सिर्फ कृषि और पशुपालन के लिए होती है, बल्कि धार्मिक स्थलों, प्राचीन मंदिरों और प्राकृतिक दर्शनीय स्थलों के कारण भी यह पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
गुमला मेले का ऐतिहासिक महत्व
Gumla का नाम “गौ मेला” से प्रेरित होकर पड़ा, क्योंकि यहाँ पुराने समय में मवेशियों का एक बड़ा मेला आयोजित किया जाता था। यह मेला साल में एक बार लगता था और पूरे एक हफ्ते तक चलता था। इस मेले में लोग रोज़मर्रा की जरूरतों की चीजें जैसे बर्तन, गहने, अनाज, वस्त्र और खेती के उपकरण खरीदते और बेचते थे। उस समय बाजारों की सुविधा न होने के कारण ग्रामीण लोग सालभर की जरूरतों की एक सूची बनाते थे और इसी मेले में आवश्यक सामान खरीदते थे।
इसके अलावा, Gumla का मेला पशुपालन से जुड़े लोगों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण था। यहाँ दूर-दूर से किसान और व्यापारी बैल, गाय और अन्य मवेशी खरीदने और बेचने आते थे। समय के साथ जब लोग यहाँ बसने लगे, तो यह एक गाँव में बदल गया और इसका नाम “गुमला” पड़ गया।
गुमला की जलवायु और भौगोलिक स्थिति
Gumla की जलवायु समशीतोष्ण और उपोष्णकटिबंधीय है। यहाँ गर्मी के मौसम में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस (104 डिग्री फ़ारेनहाइट) तक पहुँच जाता है, जबकि सर्दियों में यह गिरकर 3 डिग्री सेल्सियस (37 डिग्री फ़ारेनहाइट) तक आ सकता है।
यह क्षेत्र अपनी अच्छी वर्षा के लिए भी जाना जाता है। सालाना औसतन 1,450 मिलीमीटर (57 इंच) वर्षा होती है। हालांकि, बारिश के पानी को संग्रह करने की उचित व्यवस्था न होने के कारण इसका पूरा लाभ कृषि क्षेत्र को नहीं मिल पाता।
गुमला की अर्थव्यवस्था
Gumla की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि, वनोपज, पशुपालन, खनन गतिविधियों और छोटे व्यापारिक उद्योगों पर आधारित है।
कृषि और वनोपज
Gumla जिले की अधिकांश आबादी कृषि पर निर्भर है। यहाँ की प्रमुख फसलें चावल, मक्का, गेहूं और दालें हैं। लेकिन सिंचाई सुविधाओं के अभाव के कारण यहाँ की खेती मुख्य रूप से मानसून पर निर्भर करती है। जिले की कुल 3.296 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि में से केवल 22,056 हेक्टेयर ही सिंचित है।
इसके अलावा, जंगलों से मिलने वाली उपज जैसे साल के पत्ते, महुआ, तेंदू पत्ता, बाँस और लाख आदि भी यहाँ की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
पशुपालन और खनन गतिविधियाँ
Gumla में पशुपालन भी आजीविका का एक प्रमुख स्रोत है। यहाँ के लोग गाय, भैंस, बकरी और मुर्गी पालन करते हैं। यह क्षेत्र खनिज संपदा से भी समृद्ध है, जहाँ लौह अयस्क, बॉक्साइट और अभ्रक जैसे खनिज पाए जाते हैं। खनन गतिविधियों से यहाँ रोजगार के अवसर भी पैदा होते हैं।
गुमला में घूमने लायक स्थान
Gumla धार्मिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक स्थलों से भरपूर है। यह जगह धार्मिक आस्था रखने वाले लोगों और प्रकृति प्रेमियों दोनों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
1. बाबा टांगीनाथ धाम
बाबा टांगीनाथ धाम गुमला जिले का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। कहा जाता है कि यहाँ भगवान शिव ने अपने त्रिशूल को भूमि में गाड़ा था, जो आज भी यहाँ देखा जा सकता है। शिवभक्तों के लिए यह स्थान आस्था का केंद्र है और हर साल यहाँ बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।
2. बाघमुंडा जलप्रपात
यह खूबसूरत जलप्रपात प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग के समान है। हरे-भरे जंगलों के बीच स्थित यह जलप्रपात मानसून के दौरान और भी आकर्षक हो जाता है। यहाँ पर्यटक पिकनिक मनाने और फोटोग्राफी के लिए आते हैं।
3. पालकोट वन्य जीव अभयारण्य
यह वन्यजीव अभयारण्य जैव विविधता से समृद्ध है और यहाँ कई दुर्लभ वन्यजीव और पक्षी देखे जा सकते हैं। यह क्षेत्र पर्यावरण प्रेमियों और वन्यजीव फोटोग्राफरों के लिए बहुत आकर्षक है।
4. अंजन धाम मंदिर
यह स्थान धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इसे भगवान हनुमान की जन्मस्थली माना जाता है। यहाँ स्थित मंदिर और गुफाएँ पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र हैं।
5. देवाकी बाबा धाम मंदिर
यह मंदिर अपनी धार्मिक महत्ता और सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ हर साल हजारों श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने आते हैं।
संस्कृति और परंपराएँ
Gumla की संस्कृति यहाँ के जनजातीय समाज से गहराई से जुड़ी हुई है। यहाँ कई जनजातियाँ निवास करती हैं, जिनमें उरांव, मुंडा और खड़िया प्रमुख हैं। ये समुदाय अपने पारंपरिक नृत्य, गीत और त्योहारों के लिए जाने जाते हैं।
लोक नृत्य और संगीत
Gumla के लोग अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को सँजोकर रखते हैं। यहाँ का पारंपरिक नृत्य “झूमर”और सरहुल नृत्य”प्रसिद्ध हैं, जिन्हें विशेष त्योहारों और उत्सवों के दौरान प्रस्तुत किया जाता है।
प्रमुख त्योहार
Gumla में सरहुल, करम पर्व, दिवाली, होली और छठ पूजा बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं। सरहुल और करम पर्व विशेष रूप से जनजातीय समाज में महत्वपूर्ण होते हैं, जिनमें लोग पेड़ों की पूजा कर प्रकृति के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करते हैं।
Gumla अपनी ऐतिहासिक विरासत, धार्मिक स्थलों, प्राकृतिक सौंदर्य और समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं के कारण एक अनोखी पहचान रखता है।